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खुम्हरी टोपी और तीर-धनुष देकर राज्यपाल को किया गया सम्मानित


राज्यपाल अनुसुईया उइके बिरसा मुंडा जयंती कार्यक्रम में हुई शामिल


अम्बिकापुर।
राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कहा है कि अपने संवैधानिक अधिकारों तथा शासन की योजनाओ का लाPभ लेने के लिए आदिवासी समाज को शिक्षित और जागरूक होना होगा। युवाओ को आगे आकर अपना भविष्य गढ़ना होगा ताकि आने वाली पीढ़ी का भी भविष्य उज्ज्वल और सशक्त हो सके । उन्होंने कहा कि युवा जब भी सामाजिक बैठकों में शामिल हो वे इस बात की विश्लेषण जरुर करें कि शासन की कौन सी योजना में समाज के  कितनो को लाभ मिला है। जो लाभ से वंचित है उन्हें कैसे लाभ दिलाया जा सके। राज्यपाल सुश्री उइके यहां अम्बिकापुर के अजिरमा स्थित गोंड समाज भवन प्रांगण में  गोंड समाज विकास समिति एवं सर्व आदिवासी समाज के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को आयोजित बिरसा मुंडा जयंती एवं देव उठान कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं।

राज्यपाल सुश्री उइके का प्रथम अंबिकापुर आगमन पर कार्यक्रम स्थल पर समाज के लोगों द्वारा करमा नृत्य एवं बजे गाजे के साथ भव्य स्वागत किया। इसके पश्चात गोंड समाज के सामुदायिक भवन का भूमि पूजन किया गया तथा बिरसा मुंडा एवं अन्य महापुरुषों के छायाचित्र पर माल्यार्पण किया गया। इस अवसर पर आदिवासी समाज के द्वारा राज्यपाल को खुम्हरी  टोपी  पहनाकर तथा तीर धनुष देकर सम्मानित किया गया।राज्यपाल ने कहा कि बिरसा मुंडा, शहीद वीर नारायण सिंह, गेंद सिंह, रानी दुर्गावती जैसे अनेक वीर और वीरांगनाओ ने अपनी प्राणों की आहुति देकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया और समाज को जागरूक करने का काम किया । स्वतंत्रता के बाद आदिवासियों के हितों को ध्यान में रखते हुए  संविधान में कई संवैधानिक प्रावधान किये गए है। इसमें 5 वी अनुसूची, पेशा कानून, पदोन्नति में आरक्षण आदि है। उन्होंने कहा कि 1996 में पेश कानून लागू हुआ जो आदिवासी क्षेत्र में विकास संबधी निर्णय लेने की शक्ति देता है।

इस कानून के अनुसार ग्राम सभा मे सर्वसम्मति से जो निर्णय लिया जाता है उसे कोई नही बदल सकता। इस कानून से खनिज तथा वन संपदा पर अधिकार होने के साथ ही  विकास कार्यो को अपने  आवश्यकतानुसार  करने की आजादी मिली है ताकि उनकी परम्परा और संस्कृति संरक्षित रहे। उन्होंने कहा कि सरकार को इस ओर भी ध्यान देने की जरूरत है कि अनुसूचित क्षेत्रों में उद्योग आदि के लिए भूमि अधिग्रहण के बाद प्रभावित परिवारों  को  मुआवजा व लाभांश मिलने के साथ ही वे आजीवन शेयर धारक भी हो।  उन्होंने कहा कि पेशा कानून की तरह ही नगरीय क्षेत्रो में आदिवासियों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए मेशा कानून शीघ्र पारित कराने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2001 में राज्य सभा मे यह कानून लाया  गया था लेकिन पारित नही हो सका। अब इसे पुनः पारित करने के प्रयास हेतु पहल किया जाएगा।


राज्यपाल ने कहा कि आदिवासियों के समस्याओं के निराकरण के लिए  जनजाति आयोग का भी गठन किया गया है जिसके माध्यम से जनजातियों के अधिकारों की सुनवाई होती है। आयोग को एक सुरक्षा कवच की भांति काम करना  चाहिए ताकि जनजातियों के अधिकार सुरक्षित हो सके ।उन्होंने कहा कि आदिवासी  बहुत ही सरल सहज और स्वाभिमानी होते है। अपने स्वाभिमान की खातिर वे  किसी के आगे झुकना नही जानते। अब समय आ गया है कि आदिवासी एक जुट होकर अपने अधिकार के लिए आवाज उठाएं। आदिवासी किसी के बहकावे में न आये। सबसे पहले वे हिंदुस्तानी मूल निवासी है , आदिवासी है इस बात को गांठ बांध लें।
राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी से बचकर रहना होगा। अभी भले ही संक्रमण कम हुआ है लेकिन पूरी तरह समाप्त नही हुआ है। इस बीमारी से बचने के लिए  टीका लगाया जा रहा है। सभी पात्र लोग जरूर टीका लगवाए, मास्क पहने और बाजार में भीड़ से बचें।

सिविल सर्विस में चयनित हुए सम्मानित-स अवसर पर संघ लोक सेवा आयोग में आईएएस सेवा हेतु चयनित वत्सल टोप्पो, अनिकेत सेंगर को सम्मानित किया गया। इसके साथ ही कोरोना काल मे उत्कृष्ठ कार्य करने वाले अधिकारी व कर्मचारियों को भी सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर जिला पंचायत की अध्यक्ष मधु सिंह , अपर कलेक्टर एएल ध्रुव, गोंड समाज के संभागीय अध्यक्ष  यू एस पोर्ते, प्रांतीय अध्यक्ष सुभाष , अमृत लाल , तरुण भगत सहित संभाग के सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिधि  और बड़ी संख्या में समाज के लोग उपस्थित थे।

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