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केंद्र के कोटा सिस्टम के चक्कर में शक़्कर बिक्री के लिए हर माह किश्तो में मिलती है अनुमति इसलिए किसानों को नहीं क़र पा रहे पेमेंट, केसीसी लोन लेकर खेती करने वाले किसानों से सात प्रतिशत के दर पर बैंक मूलधन के साथ वसूल करेंगे ब्याज
अंबिकापुर, सूरजपुर। सूरजपुर जिले के माँ महामाया शक़्कर कारखाना में गन्ना खरीदी बंद होने के बाद भी किसानों को गन्ना का पूरा रुपए नहीं मिल सका है। दो हजार से अधिक किसान हैं जिन्हें गन्ना बेचें दो माह का समय बीत गया है लेकिन अब तक उन्हें भुगतान नहीं किया गया है। इससे किसान बैंको से लिए केसीसी कर्ज नहीं पटा सके हैं इससे वित्तीय वर्ष ख़त्म होने के बाद उन्हें सात प्रतिशत ब्याज भुगतान करना पड़ेगा। वहीं औसत हर गन्ना किसान ने कम से कम 50 हजार का कर्ज ले रखा है। इस तरह दो हजार किसानों को ब्याज के रूप में 70 लाख रुपए बैंको को ब्याज भरना पड़ेगा। जबकि यह रुपए अगर मार्च अप्रैल तक मिल जाता तो ब्याज नहीं देने पड़ते।
कारखाना के अफसरों का कहना है कि शक़्कर बेचने के लिए केंद्र सरकार से आदेश मिलता है उसी मात्रा में शक़्कर बेचते हैं, अप्रैल माह में 6 करोड़ का शक़्कर बिक रहा है तो करीब 600 किसानों को भुगतान होग़ा उसके बाद भी 14 किसान बाकी रह जायेगे। इस तरह इस साल गन्ना का पूरा भुगतान करने में जून से जुलाई महीना पहुंच सकता है। इससे किसानों को आर्थिक रूप से परेशान होना पड़ेगा। सीजीएमपी न्यूज़ पड़ताल में खुलासा हुआ कि शक़्कर कारखाना में इस 2.83 लाख मैट्रिक टन गन्ना खरीदी हुआ है। इसके एवज में अब तक 9 हजार किसानों को 51.02 करोड़ रुपए का भुगतान सात किश्तो में किया गया है। इसमें वे किसान शामिल हैं जिन्होंने 17 फरवरी से पहले गन्ना बेचा है, वहीं इसके बाद करीब दो हजार किसानों ने गन्ना बिक्री की वे अपने खाता में रुपए आने का इंतजार क़र रहें हैं। लेकिन कारखाना के अफसरों का कहना है कि जुलाई से पहले पूरा भुगतान होने की उम्मीद नहीं है।
गन्ना खरीदी का टारगेट नहीं क़र सके पूरा
तीन साल पहले कारखाना में 3.24 लाख मैट्रिक टन गन्ना खरीदी हुई थी, वहीं पिछले साल दो लाख और इस साल 2.83 लाख मैट्रिक टन खरीदी हुई है। पिछले साल ज़ब मात्र दो लाख मैट्रिक टन खरीदी हुई थी तब सभी किसानों को समर्थन मूल्य में पेमेंट करने में अप्रैल पहुंच गया था। लेकिन इस साल उसकी अपेक्षा अधिक खरीदी हुई है जबकि लक्ष्य तीन लाख मैट्रिक टन गन्ना खरीदी का था। इस साल किसानों को 275.50 रुपए क्विंटल में भुगतान किया जा रहा है। ज़ब यह भुगतान पूरा हो जाएगा तब 79.50 प्रति क्विंटल बोनस दिया जाएगा।
9.70 प्रतिशत ही रहा गन्ना से शक़्कर की रिकवरी, इसके नहीं बढ़ने से नुकसान
गन्ना का रिकवरी रेट भी साल दर साल गिरता जा रहा है 2017 में एक लाख 77 हजार मीट्रिक टन गन्ने की पेराई के एवज में शक्कर की रिकवरी का प्रतिशत 10.12 था। वहीं 2018 में एक लाख 95 हजार मीट्रिक टन पेराई के एवज में एक लाख 86 हजार क्विंटल शक्कर प्राप्त हुआ। शक्कर की रिकवरी का प्रतिशत 9.84 था। वहीं 2019 में 2.20 लाख मीट्रिक टन गन्ने की पेराई के साथ दो लाख 6 हजार क्विंटल शक्कर का उत्पादन किया गया था जिसकी रिकवरी 9.64 प्रतिशत था। इस साल रिकवरी का प्रतिशत 9.70 रहा है। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि एक क्विंटल गन्ना में 9.700 किलो शक़्कर निकला। जबकि भोरमदेव कारखाने में वर्ष 2021 में रिकवरी रेट 11.21 प्रतिशत था लेकिन यहां रिकवरी बढ़ाने ठोस पहल नहीं हो सका है।
इसलिए फैक्ट्री में गन्ना लेकर नहीं जाते किसान
क्षेत्र के किसानों द्वारा गन्ना को गुड़ उद्योगो को बेच दिए जाने से कारखाना का लक्ष्य पूरा नहीं होता है और गुड़ फैक्ट्री को गन्ना बेचने के पीछे की सबसे बड़ी वजह समय पर फैक्ट्री से भुगतान नहीं होना और गन्ना लोड वाहनों का तीन से चार दिनों तक फैक्ट्री में लाइन लगकर खड़ा रहना जिससे पांच सौ से हजार रुपये जहां वाहन का भाड़ा लग जाता है तो इससे ट्रेक्टर ट्राली में कम से कम तीन से चार क्विंटल गन्ना का सूख जाना भी है। इस तरह भाड़ा और गन्ना के सूखने से कम से कम एक ट्राली गन्ना में डेढ़ हजार का नुकसान होता है, जबकि गुड़ फैक्ट्री में तत्काल पेमेंट के साथ गन्ना बिक जाता है लेकिन उसमें किसानों को बोनस नहीं मिलता है।
क्या है कोटा सिस्टम, जानिए इसके फायदे व नुकसान
कारखाने को शक्कर बिक्री के लिए कोटा निर्धारित किया जाता है। इसके बाद कारखाना टेंडर निकालकर शक्कर बिक्री करते हैं। शक्कर बिक्री से जो पैसा मिलता है, उसी से खरीदे गए गन्नाें का किसानों को भुगतान किया जाता है। शक्कर बिक्री का यह कोटा इतना लिमिट है, जिससे सभी किसानों को एक साथ भुगतान नहीं हो पाता है। वहीं केंद्र ने यह नियम इसलिए लागू किया है ताकि कारखाना से शक़्कर खरीदने के बाद व्यापारी शक़्कर की जमाखोरी न क़र सके।
दो बैंक ब्रांच से ही 300 किसानों का ढ़ाई करोड़ है लोन
गन्ना खेती के लिए शक़्कर कारखाना के पास स्थित पंजाब नेशनल बैंक व छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक मिलाकर 300 किसानों ने केसीसी लोन ले रखा है। दोनों बैंको ने तीन सौ किसानों को ढ़ाई करोड़ लोन दिया है। पंजाब नेशनल बैंक के मैनेजर खाखा और ग्रामीण बैंक मैनेजर अभिषेक कहते हैं कि यह सही है कि समय पर इसकी वजह से किसान लोन नहीं चुका पाते हैं। इसके कारण उन्हें सात प्रतिशत के हिसाब से अतिरिक्त ब्याज देना पड़ता है। बता दें कि इन दोनों बैंक के अलावा किसानों ने अपने क्षेत्र के बैंक व सहकारी समितियों से लोन ले रखा है।
कोटा सिस्टम में शक़्कर बिक्री इसलिए किसानों को भुगतान में लग रहा समय
प्रबंध संचालक शक़्कर कारखाना आकाशदीप पात्रे का कहना है कि किसानों को जल्दी पेमेंट हो जाए इसकी तैयारी क़र रहें हैं। कोटा सिस्टम में शक़्कर बिक रहा है। इससे किसानों को भुगतान में समय लग रहा है। वहीं शक़्कर की रिकवरी रेट अभी तक 9.70 प्रतिशत है। किसानों अभी 27 करोड़ रुपए किसानों को पेमेंट करना बाकी है।