नई दिल्ली, एजेंसी। संसद भवन परिसर में अब प्रदर्शन, धरना, भूख हड़ताल आयोजित नहीं किए जा सकते हैं। सचिवालय की ओर से परिपत्र जारी किया गया है। राज्यसभा के महासचिव के नए आदेश के अनुसार, संसद सदस्य किसी भी धरने या हड़ताल के लिए अब इस परिसर का उपयोग नहीं कर सकते हैं। पीसी मोदी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि सदस्य किसी भी प्रदर्शन, धरना, हड़ताल, उपवास, या किसी तरह के धार्मिक समारोह को करने के उद्देश्य से संसद भवन के परिसर का उपयोग नहीं कर सकते हैं।

इससे जुड़ा एक आदेश शेयर करते हुए कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा है।  इस फैसले पर विपक्ष भड़क गया है। राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के सीनियर नेता जयराम रमेश ने भी इसपर ट्वीट किया। उन्होंने आदेश की कापी को शेयर करते हुए लिखा, ‘विश्वगुरु का नया काम- D(h)arna मना है।

बता दें कि इससे पहले असंसदीय शब्दों के संकलन या शब्दकोष को लेकर उठे विवाद के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने साफ किया है कि कोई भी शब्द प्रतिबंधित नहीं है। यानी सूची में दिए गए शब्द भी सदस्य बोल सकते हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल गलत संदर्भो में नहीं किया जाना चाहिए। अगर संदर्भ गलत होगा तभी उसे संसदीय कार्यवाही से हटाया जाएगा। वैसे यह अपेक्षित है कि सदस्य संसद की मर्यादा का पालन करें और आमजन में संसद की छवि ठीक करें।बिरला ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी शब्द को असंसदीय शब्दों के कोष में शामिल करने की व्यवस्था नई नहीं है, यह 1954 से अमल में है। बिरला ने यह स्पष्टीकरण इस मुद्दे पर विपक्ष के मोर्चा खोलने के बाद दिया। विपक्षी नेताओं ने इस सूची को संसद के भीतर विपक्ष की जुबान बंद करने की कोशिश करार दिया था। इनमें कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और आप समेत सभी विपक्षी दल शामिल थे।

 उन्होंने बताया कि असंसदीय शब्दों का कोष मौजूदा समय में करीब 1,100 पृष्ठों का है। अगर उन्होंने (विपक्ष ने) इसे पढ़ा होता तो भ्रम नहीं फैलता। इसे 1954 से लगातार तैयार किया जा रहा है। समय-समय पर इसमें नए-नए शब्द जोड़े जाते हैं। ये वही शब्द होते हैं, जो संसद के दोनों सदनों में या फिर विधानसभाओं में हटाए गए होते हैं। इसे 1986, 1992, 1999, 2004 और 2009 में अपडेट किया गया था, जबकि 2010 से इसका नियमित रूप से प्रकाशन किया जाता है। कागजों की बर्बादी रोकने के लिए हमने इसे इंटरनेट पर डाल दिया है।

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