अंबिकापुर/बलरामपुर।सरगुज़ा और बलरामपुर जिले में आरटीओ और माइनिंग विभाग की मिलीभगत से बिना पिटपास के खुलेआम दौड़ रहे क्रेशर वाहन, सरकार को हर माह करोड़ों का नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इलाके में अवैध क्रशर प्लांट संचालित होने से सड़कों की दुर्दशा हो रही है।
ओवर लोड वाहन चलने के कारण सड़क पूरी तरह से उखड़कर गड्ढों में तब्दील हो जा रही है। जिसका खामियाजा वाहन चालकों को भुगतना पड़ रहा है। ओवर लोडिंग का शिलशिला काफी दिनों से चला आ रहा है। आरटीओ व माईनिंग विभाग को सब मालूम है कार्रवाई के नाम पर कभी- कभार दो- चार वाहनो को पकड़ कर कार्यवाई के नाम पर खानापूर्ति कर देते है। सरगुज़ा और बलरामपुर क्षेत्र में संचालित क्रशर खदानों में खपने वाले पत्थर अवैध तरीके से वन एवं राजस्व भूमि से निकाले जा रहे हैं। कभी ड्रिल मशीन के जरिए तो कभी ब्लास्ट करके पत्थरों को जमीन से निकला जाता है। बड़े पैमाने पर चल रहे कारोबार पर प्रशासन या वन विभाग का ध्यान नहीं है, यदि है भी तो कार्रवाई के नाम पर मजदूरों पर मामला दर्ज कर लिया जाता है। खदानों से उड़ने उड़ने वाली धूल से इलाके का पर्यावरण संतुलित। बिगड़ता जा रहा हैं लेकिन सम्बधित महकमा भी इस ओर से बिल्कुल बेपरवाह हैं। इसका खामियां ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा हैं।
बलरामपुर और सरगुज़ा में 52 क्रेशर संचालित है, बगैर पिटपास के प्रतिदिन 300 ट्रक चल रहे हैं
बलरामपुर जिले राजपुर, कोटागहना, डिगनगर, गागर नदी, बघिमा, बरियों, भिलाई, भेस्की, चंगोरी, धौरपुर आदि में करीब 52 क्रेशर संचालित है। क्रेशरों से प्रतिदिन करीब 300 ओवर लोडिंग ट्रक बगैर पिटपास के सरगुज़ा सहित यूपी, झारखंड, बिहार भेजा जा रहा है। एक वाहन का पिटपास करीब 5000 रुपए है प्रतिदिन 300 ट्रक का 15 लाख एक माह में 45 करोड़ रुपए की सरकार को हर माह नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
दर्जनों जगह हो रहें खनन
राजपुर विकासखण्ड के धौरपुर, कोटागहना व राजपुर क्षेत्र की शासकीय व वन भूमि पर दर्जनभर स्थानों से अवैध खनन कर पत्थर निकाले जा रहे हैं। इन पत्थरों को क्रशर खदान में भेज दिया जाता हैं। अवैध खनन में इलाके के ग्रामीण महिला- पुरुष कार्यरत हैं जो कई बार असुरछित ब्लास्टिंग से घायल हो चुके हैं। खदान संचालित करने वाले लोग पत्थरों को ब्लास्टिंग के जरिए सुबह ही निकालते हैं ताकि अधिकारियों को इसकी भनक न लगे।बलरामपुर जिले के राजपुर सहित सरगुज़ा में 52 क्रेशर संचालित है। राजपुर, कोटागहना, भेस्की, धौरपुर, भिलाई, चंगोरी, डिगनगर, गागर नदी के आसपास संचालित क्रशर प्लांट में वाहनों से सैकड़ो ट्रिप भेजे जा रहे हैं। इस गोरखधंधे की आज तक निस्पक्ष जांच नही होने से कारोबार बेखौफ चल रहा है। उसके बाद गिट्टी को हाइवा ट्रक, ट्रेलर, ट्रक, के माध्यम में झारखंड, बनारस, बिहार आदि भेजा जा रहा है।
अधिकारियों का मिल रहा हैं संरक्षण
ग्रामीणों के मुताबित ठेकेदारों को वन एवं राजस्व विभाग का मौन संरक्षण प्राप्त है जिसके चलते वे मनमाने ढंग से पत्थरों का अवैध खनन कर रहे हैं। इतना ही नहीं ठेकेदारों के इशारे पर ही अधिकारी मजदूरों पर अवैध खनन का मामला बनाकर खानापूर्ति भी कर लेते है। कई ऐसे भी ग्रामीण हैं जिन्हें हजार-दो हजार रुपए देकर उनकी जमीन पर खनन कराया जा रहा है। इलाके में बड़े पैमाने पर चल रहे अवैध खनन से वन क्षेत्र का पर्यावरण भी प्रभावित होने लगा हैं। क्रेशर प्लांट से दिनरात उड़ने वाली धूल व शोर से लोगो का स्वास्थ्य भी प्रभावित होने लगा हैं। ग्राम भेस्की आसपास के 18 पहाड़ी कोरवा अवैध ब्लास्टिंग होने के कारण अपना घर छोड़ कर भग गए हैं। अवैध ब्लास्टिंग होने के कारण घरों में दरारें पड़ने लगी है। धूल से स्वास्थय खराब होने लगा है। अवैध ब्लाटिंग से पूर्व में बरियों शिव मंदिर एवं बघिमा चंद्रघण्टा मंदिर में दरार पड़ चुका है दुबारा मंदिर का निर्माण कराया गया हैं। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि ठेकेदारों के द्वारा पहाड़ी कोरवा एवं आदिवासियों का जमीन पर कब्जा कर अवैध ब्लास्टिंग व क्रेशर संचालित है।
कागजों में संचालित हो रही क्रेशर कई क्रशर संचालको के पास आज तक जमीन की डायवर्शन ,पिटपास, लीज, पर्यावरण, मेडिसिन, ब्लॉटिंग आदि दस्तावेज तक नही है। मात्र कागजों में संचालित हो रहा है।
बघिमा, बरियों, धौरपुर, चंगोरी बारूद के ढेर में
पत्थरों में यूज होने वाली ब्लास्टिंग के लिए बारूद कहा से आता हैं आज तक किसी को मालूम नही है। इसकी स्टाक रूम कहा है कोई पता नही है। अवैध बारूद से कभी भी बड़ी घटनाएं घट सकती है। क्षेत्र में बेख़ौफ़ ट्रैक्टर गला कर ड्रिल महीन से सुरंग बना कर अवैध ब्लाटिंग जोरो से संचालित है।
क्या कहते हैं अधिकार
15 माह में 150 ओवर लोड वाहनों पर कार्रवाई गई है आगे भी कार्रवाई की जाएगी।। राजेंद्र साहू, यातायात विभाग बलरामपुर।
मामला प्रकाश में आया है माइनिंग और एसडीएम को बोलता हूं कार्रवाई करने के लिए। कुंदन कुमार,कलेक्टर बलरामपुर।