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बस्तर।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर के समीप आसना ग्राम में बस्तर एकेडमी ऑफ डांस, आर्ट एंड लेंग्वेज (बादल) के नवनिर्मित परिसर का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री बघेल ने इस अवसर पर कहा कि जनजातीय संस्कृति के केन्द्र के रुप में प्रसिद्ध बस्तर के लोक नृत्य, स्थानीय बोलियां, साहित्य एवं शिल्पकला के संरक्षण और संवर्द्धन में आज शुरू हुई बस्तर एकेडमी ऑफ डांस, आर्ट एंड लैंग्वेज (बादल) की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। लइस केन्द्र की स्थापना 5 करोड़ 71 लाख रुपए की लागत से की गई है। बादल एकेडमी के जरिए बस्तर की विभिन्न जनजातीय संस्कृतियों को एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी तक हस्तान्तरण करना, बाकी देश-दुनिया को इनका परिचय कराना, शासकीय कार्यों का सुचारु सम्पादन के लिए यहां के मैदानी कर्मचारी-अधिकारियों को स्थानीय बोली-भाषा का प्रशिक्षण देने का कार्य किया जाएगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि बस्तर की गौरवशाली संस्कृति की गूंज हिंदुस्तान ही नहीं देश दुनिया में सुनाई देती है। बादल एकेडमी के जरिये बस्तर की संस्कृति को नई पहचान मिलेगी। बादल एकडमी की स्थापना के लिए पर्यटन विभाग के जीर्णशीर्ण हो चुके आसना में निर्मित अनुपयोगी मोटल का चयन किया गया। इसका क्षेत्रफल लगभग दो एकड़ था, लेकिन राजस्व विभाग एवं अन्य जमीन को मिलाकर इस हेतु लगभग पांच एकड़ जमीन तैयार की गई। जमीन मिलने के पश्चात प्रारंभ हुआ बस्तर अकादमी फॉर डॉस आर्ट लिटरेचर एंड लेंग्वेज का निर्माण। इस अकादमी में प्रमुख रूप से लोकगीत एवं लोक नृत्य प्रभाग, लोक साहित्य प्रभाग, भाषा प्रभाग और बस्तर शिल्प कला प्रभाग है। लोक गीत एवं लोक नृत्य प्रभाग के तहत बस्तर के सभी लोक गीत, लोक नृत्य गीत का संकलन, ध्वन्याकंन, फिल्मांकन एवं प्रदर्शन का नई पीढ़ी को प्रशिक्षण दिया जायेगा। जिसमें गंवर सिंग नाचा, डण्डारी नाचा, धुरवा नाचा, परब नाचा, लेजागीत, मारीरसोना, जगार गीत, आदि प्रमुख है। लोक साहित्य प्रभाग के तहत बस्तर के सभी समाज के धार्मिक रीति-रिवाज, सामाजिक ताना-बाना, त्यौहार, कविता, मुहावरा आदि का संकलन, लिपिबद्ध कर जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया जाएगा। भाषा प्रभाग के तहत बस्तर की प्रसिद्ध बोली हल्बी, गोंडी, धुरवी और भतरी बोली का स्पीकिंग कोर्स तैयार कर लोगों को इन बोली का प्रशिक्षण दिया जाएगा। बस्तर शिल्प कला प्रभाग- इसी तरह बस्तर की शिल्प कलाओं में काष्ठकला, धातु कला, बांसकला, जूटकला, तुम्बा कला आदि का प्रदर्शन एवं निर्माण करने की कला सिखाई जाएगी।
वीर शहीदों के नाम पर किया गया भवनों का नामकरण
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बादल एकेडमी में निर्मित तीन भवनों का नामकरण वीर शहीदों के नाम पर किया गया। इनमें प्रशासनिक भवन का नाम शहीद झाड़ा सिरहा के नाम पर, आवासीय परिसर का नाम हल्बा जनजाति के शहीद गेंदसिंह के नाम पर और लायब्रेरी व अध्ययन भवन को धुरवा समाज के शहीद वीर गुंडाधुर के नाम पर किया गया है। बादल एकेडमी के शुभारंभ के अवसर पर समाज से संबंधित स्थानीय कलाकारों द्वारा इन विभूतियों के जीवन पर आधारित नाटक का मंचन किया गया।इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को बादल एकेडमी और इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय के मध्य एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। इसके तहत इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय द्वारा बादल एकेडमी में लोक नृत्य और लोक संगीत के लिए साझा तौर पर कार्य किया जाएगा। विश्वविद्यालय द्वारा बादल एकेडमी को मान्यता प्रदान करते हुए अपने पाठ्यक्रमों से संबंधित विधाओं का संचालन किया जाएगा।
थिंक-बी और चार अन्य संस्थानों के मध्य हुआ एमओयू
इसके साथ ही यहां रविवार को मुख्यमंत्री की मौजूदगी में थिंक-बी और आईआईएम रायपुर, आईआईआईटी रायपुर, हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साईंसेस के साथ एमओयू किए गए। उद्यमिता और स्वरोजगार के इच्छुक बस्तर के युवाओं के स्टार्टअप्स को प्रमोट करने के साथ ही उन्हें इंक्यूबेट करने के लिए यह एमओयू किया गया। बादल अकादमी में लाइब्रेरी, रिकॉर्डिंग रूम, ओपन थिएटर, डांस गैलरी, चेंजिंग रूम, गार्डन एवं रेसिडेंशियल हाउस, पाथवे, एग्जीबिशन हॉल, कैफेटेरिया बनाए गए हैं।इस अवसर पर भतरा,हल्बा, धुरवा,मुरिया, कोया और मुंडा को मुख्यमंत्री द्वारा आदिवासी विकास विभाग के माध्यम साजसज्जा,वेशभूषा और वाद्ययंत्र ख़रीदी के लिए 18 लाख 50 हजार राशि दी गई है।इस अवसर पर उद्योग मंत्री एवं बस्तर जिले के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा, बस्तर सांसद एवं बस्तर दशहरा समिति दीपक बैज, राज्यसभा सांसद फूलोदेवी नेताम, संसदीय सचिव रेखचन्द जैन, विधायक कोंडागाँव मोहन मरकाम,विधायक राजमन बेंजाम, देवती कर्मा, विधायक एवं छत्तीसगढ़ राज्य हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष चन्दन कश्यप, विधायक विक्रम मंडावी, नगरनिगम जगदलपुर की महापौर सफीरा साहू, अध्यक्ष कविता साहू सहित अनेक जनप्रतिनिधि, भतरा,हल्बा, धुरवा,मुरिया, कोया और मुंडा आदिवासी समाज सहित विभिन्न समाज के प्रतिनिधि और सदस्य आदि उपस्थित थे।