बलरामपुर.बलरामपुर जिले के सेमरसोत अभ्यारण्य पस्ता सीमा से लगे घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र ग्राम खटवाबरदर के सेमरतला के जंगल में शेर आने की आहट से गांव के लोग खासे दहशत में है. खटवाबरदर के सेमरतला जंगल में शिवशंकर नगेसिया के तीन मवेशी को मारने के बाद डवरा के अमझर जंगल होते हुए सिंदूर नदी किनारे शेर के पंजे जंगल में देखे गए हैं. मुख्य वन संरक्षक (वन प्राणी) सरगुज़ा डॉ केनी माचिओ व वन मंडलाधिकारी विवेकानंद झा के नेतृत्व में चार टीम गठित कर गांव में वन कर्मियों से लाउडस्पीकर से अलाउंस करा रहे है गांव के ग्रामीण जंगल की ओर न जाए शेर से दूरी बनाकर रखें.
ग्राम खटवाबरदर, सेमरसोत, डवरा, कोचली, कोदौरा, परती, पाढ़ी, पस्ता, उलिया, उफ़िया, सरगड़ी, गोविंदपुर पहाड़ी के आसपास बड़े जंगल हैं. जिसमें कई बार तेन्दुए के आने की पुष्टि हो चुकी है. इसके अलावा एक साल पहले इसी जंगल में बड़े शेर के पंजे वाले निशान भी मिले थे. इसके बाद एक बार फिर से एक शेर के पंजे जंगल में देखे गए हैं. जिसके चलते ग्रामीण काफी डरे हुए हैं. गांव के आस पास शेर के पंजे देखे जाने के बाद से ही क्षेत्र में दहशत व्याप्त है. गांव में शेर की आहट से डरे हुए हैं. शेर की दहशत इस गांव में इतनी है कि लोग शाम होते ही अपने अपने घरों में दुबक जा रहे हैं और फिर सुबह होने पर ही घर से बाहर निकल रहें हैं. शेर ने चार दिन पहले वाड्रफनगर के अलका क्षेत्र में छह मवेशी को मार डाला था. ग्रामीणों ने बताया कि शेर एक रात में 40 से 50 किमी जंगल से गांव तक सफ़र करता है गांव के ग्रामीण दहशत में है.
मुख्य वन संरक्षक (वन प्राणी) सरगुज़ा डॉ केनी माचिओ ने बताया कि एक शेर तमोर पिंगला अभ्यारण्य वाड्रफनगर होते हुए सेमरसोत अभ्यारण्य में विचरण कर रहा है. चार टीम गठित कर गांव में वन कर्मियों से लाउडस्पीकर से अलाउंस करा रहे है. गांव के ग्रामीण जंगल की ओर न जाए शेर से दूरी बनाकर रखें. कई स्थानों पर शेर के पंजे व लीद गिरा हुआ पाया गया है. जिन किसानों की मवेशी को नुकसान पहुंचाया है उनको मुआवजा दिया जाएगा.