रायपुर: मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय की मंशानुरूप प्रदेश में स्वास्थ्य एवं पोषण सुविधाएं सशक्त हुई हैं। प्रशासन की पहल से मुंगेली जिले में गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को भर्ती एवं उपचार कर उन्हें सामान्य श्रेणी में लाने के लिए स्थापित पोषण एवं पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। एनआरसी में उचित देखभाल एवं पोषण आहार मिलने से बच्चों के वजन में वृद्धि के साथ कुपोषण से भी मुक्ति मिल रही है। बता दें कि लोरमी विकासखण्ड के ग्राम झझपुरीकला के 11 माह की एकता साहू को गंभीर कुपोषित होने के कारण आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की सलाह पर पोषण पुनर्वास केन्द्र लोरमी में 16 मई को भर्ती कराया गया, जहां बच्ची को उसके माता के साथ रखकर उचित देखभाल और पूरक पोषण आहार दिया गया, जिससे मात्र 15 दिनों में बच्ची के वजन में वृद्धि के साथ कुपोषण से भी मुक्ति मिल गई।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक  गिरीश कुर्रे ने बताया कि विशेष खाद्य पदार्थ, पोषण संबंधी पूरक दवाएँ एवं उचित देखरेख में एकता के स्वास्थ्य में सुधार होने के बाद पोषण पुनर्वास केन्द्र से छुट्टी दी गई। इसके साथ ही एकता की माता  भगवती साहू को बच्ची के पौष्टिक खाद्य पदार्थों के लिए 2250 रूपए प्रोत्साहन राशि और पोषण संबंधित जानकारी दी गई। गौरतलब है कि एनआरसी में 05 वर्ष से कम उम्र के गंभीर कुपोषित बच्चों को उपचार के लिए भर्ती कराया जाता है, जहां माताएँ अथवा देखभालकर्ता एनआरसी में बच्चों के साथ रहती हैं और एनआरसी से छुट्टी के बाद बच्चे की देखभाल कैसे करें, इस पर परामर्श सत्र में भाग लेती हैं। गंभीर कुपोषित बच्चों में कुपोषण के अलावा अन्य मेडिकल समस्याएं रहती हैं, जिन्हें भर्ती कर पोषण आहार के साथ-साथ जरूरी दवाएं भी उपलब्ध कराई जाती हैं।

जिले के कुपोषित बच्चों को समुचित पोषण देने व उपचार करने के लिए जिले में 03 पोषण पुनर्वास केंद्र खोले गए हैं। एक केंद्र जिला मुख्यालय में एवं दो केंद्र लोरमी एवं पथरिया में स्थित है। जिले के पोषण पुनर्वास केंद्रों में अब तक 1800 से अधिक बच्चों को लाभान्वित किया जा चुका है। भर्ती मरीजों की माताओं की हर दिन अलग-अलग विषयों में काउंसिलिंग की जाती है, जिसमें उन्हें हाथ धुलाई व सफाई, परिवार कल्याण, घर में पोषण आहार बनाने का तरीका बताया जाता है। इसके अलावा टीकाकरण व स्वास्थ्य विभाग की अन्य योजनाओं की जानकारी दी जाती है, जिसका उद्देश्य यह है कि केंद्र में बच्चों को सही तरीके और सही मात्रा में भोजन मिले और कुपोषण की श्रेणी से मुक्त किया जा सके।

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