बीजापुर: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले बीजापुर में एक बड़ी सफलता मिली है। गंगालूर एरिया कमेटी के अंतर्गत सक्रिय 17 माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है। इनमें से नौ माओवादी पुलिस के लिए वांछित थे और उन पर कुल 24 लाख रुपये का इनाम घोषित था। 

डीवीसीएम स्तर का माओवादी हुआ सरेंडर

आत्मसमर्पण करने वालों में गंगालूर एरिया कमेटी का डीवीसीएम (डिविजनल कमेटी मेंबर) दिनेश मोड़ियम भी शामिल है, जिसने अपनी पत्नी ज्योति ताती (एसीएम) के साथ पुलिस के सामने हथियार डाल दिए। इनके अलावा, एसीएम-02, मिलिशिया प्लाटून कमांडर-02, जनताना सरकार अध्यक्ष-01, डीएकेएमएस अध्यक्ष-01, केएएमएस अध्यक्ष-01, जनताना सरकार उपाध्यक्ष-02, प्लाटून डिप्टी कमांडर-01, जनताना सरकार सदस्य-04 और जीपीसी सदस्य-01 ने भी आत्मसमर्पण किया। 

सरकार की पुनर्वास नीति और विकास योजनाओं का असर

बीजापुर जिले में लगातार हो रहे विकास कार्यों, पुलिस के बढ़ते दबाव और सुरक्षा बलों द्वारा स्थापित किए गए नए कैंपों के चलते माओवादी संगठन कमजोर पड़ रहा है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने बताया कि उन्हें संगठन में कोई भविष्य नहीं दिख रहा था। अंदरूनी कलह, विचारधारा से मोहभंग और अपने परिवार के साथ सुरक्षित जीवन जीने की इच्छा ने उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए प्रेरित किया।  छत्तीसगढ़ सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के तहत सभी माओवादियों को 25-25 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई है। इसके अलावा, उन्हें समाज में पुनर्वास के लिए विभिन्न योजनाओं का लाभ भी दिया जाएगा। 

इस आत्मसमर्पण अभियान में डीआरजी, बस्तर फाइटर्स, एसटीएफ, कोबरा और सीआरपीएफ की कई बटालियनों का योगदान रहा। पुलिस महानिरीक्षक (बस्तर रेंज), पुलिस अधीक्षक (बीजापुर) और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में यह ऑपरेशन सफल हुआ। 

20 साल तक माओवादी संगठन में सक्रिय रहे दिनेश मोड़ियम ने आत्मसमर्पण के बाद अपने पुराने साथियों से भी समाज की मुख्यधारा में लौटने की अपील की। उन्होंने बताया कि संगठन में शोषण और भेदभाव होता है, और जो विरोध करता है, उसे सजा दी जाती है। उन्होंने अन्य नक्सलियों से हिंसा का रास्ता छोड़कर शांति और विकास की राह अपनाने का अनुरोध किया।  वर्ष 2025 में अब तक कुल 65 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं, जबकि 137 माओवादी गिरफ्तार हुए हैं और 56 माओवादी मुठभेड़ में मारे गए हैं। पुलिस को उम्मीद है कि आने वाले समय में और भी नक्सली संगठन छोड़कर आत्मसमर्पण करेंगे। 

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