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छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के सबसे बड़े महारानी अस्पताल और डिमरापाल मेडिकल कॉलज  से 600 स्वास्थकर्मियों को नौकरी से निकाल दिया गया है। जिससे अब इन दोनों अस्पताल की व्यवस्था बिगड़ती हुई नजर आ रही है। इसका सीधा नुकसान इन दोनों अस्पतालों में आने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

अस्पताल से निकाले गए लैब टेक्नीशियन, स्टाफ नर्स और वार्ड बॉय समेत अन्य स्वास्थकर्मी लगभग सप्ताहभर से धरने पर बैठे हुए हैं। स्टाफ नर्स और वार्ड बॉय के अभाव में मरीजों और उनके परिजनों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। मरेठा गांव से अपनी बच्ची का इलाज करवाने पहुंचे पिता ने कहा कहा कि, यहां हमें कुछ भी बताने वाला कोई नहीं है। हम घबराहट से कांप रहे हैं कि कैसे जिंदगी बचाएंगे। शासन ध्यान नहीं दे रही है। मेकाज में भर्ती महिला के पति ने कहा कि, मेरी पत्नी बेहोश हो गई थी। उसे अस्पताल लेकर आया हूं। डॉक्टर ने इलाज तो कर दिया है लेकिन अस्पताल में दवा ही नहीं है। बाहर से लाने को कहा जा रहा है। गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों को तुरंत इलाज भी नहीं मिल पा रहा है। अस्पताल में सबसे जरूरी सेवा लैब, कोरोना जांच, सफाई व्यवस्था, डायलिसिस और सिटी स्कैन जैसे कार्य पूरी तरह से प्रभावित हो गए हैं। अस्पताल आए मरीजों को परिजन खुद ही स्ट्रेचर और व्हीलचेयर से डॉक्टरों के पास या फिर मरीजों को भर्ती करने वाले वार्ड तक लेकर जा रहे हैं। मरीज के परिजनों ने बताया कि, पहले छोटी-छोटी सी परेशानी को दूर करने के लिए स्टाफ लगे रहते थे। लेकिन अब अस्पताल की हालत खराब हो गई है।आपको बता दे डीएमएफ मद के तहत हुई थी भर्ती डिमरापाल मेडिकल कॉलेज और महारानी अस्पताल में साल 2018 में डीएमएफ  मद से कुल 600 स्वास्थकर्मियों की भर्ती की गई थी। जिनमें स्टाफ नर्स, वार्ड बॉय से लेकर लैब टेक्नीशियन भी शामिल थे। इन सभी कर्मियों ने कोरोना काल में भी अपनी ड्यूटी की है। लेकिन अब सभी की सेवा समाप्त कर दी गई है। जिससे गुस्साए स्टाफ ने मेकाज के सामने ही धरना दे दिया है। हालांकि वर्तमान में अस्पताल में 158 स्टाफ नर्स और 146 वार्ड बॉय ड्यूटी पर तैनात हैं।

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