नारायणपुर: छत्‍तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के जिला अस्पताल में मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक नौ महीने के बच्‍चे की समय से एंबुलेंस नहीं मिलने से अस्‍पताल के गेट पर मौत हो गई।जिसके बाद मासूम के शव को गोद में लेकर मां नौ घंटे तक अस्‍पताल के बाहर बैठी रही।वहीं स्‍वजनों ने आरोप लगाया कि जिला अस्‍पताल के डाक्‍टरों ने बच्‍चे का इलाज नहीं किया और जगदलपुर रेफर कर दिया। जब स्‍वजनों ने बच्‍चे को जगदलपुर ले जाने के लिए एंबुलेंस की मांग की तो अस्‍पताल प्रशासन ने एंबुलेंस देने मना कर दिया।घटना की जानकारी मिलते ही प्रभारी कलेक्टर ने मामले का संज्ञान लिया और स्‍थानीय अफसर को महिला के आरोपों की पड़ताल के निर्देश दिए हैं।

नौ महीने का बच्‍चा उत्‍तम सलाम को कंपकंपी के साथ बुखार, उल्टी होने की शिकायत थी। जिसके बाद उसे शनिवार को इलाज के लिए छोटेडोंगर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भर्ती किया गया। पिता ने बताया कि छोटेडोंगर उपस्वास्थ्य केंद्र के डाक्टर ने बच्चे को नारायणपुर के जिला अस्पताल रेफर कर दिया।

स्‍वजन बच्चे को लेकर लगभग शाम 4.30 बजे जिला अस्पताल नारायणपुर पहुंचे। यहां डाक्टरों ने स्थिति सामान्य बताते हुए बच्‍चे को खतरे से बाहर बताया। लेकिन लगभग रात 8 बजे अचानक डाक्टर ने जगदलपुर रेफर करने की बात कही। जिसके बाद बच्चे के पिता घबरा गए और निजी अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस की मांग की।पिता ने बताया कि एंबुलेंस को लेकर अस्पताल प्रबंधन ने सीधे इनकार कर दिया और कुछ दस्तावेजों में हस्ताक्षर करने के बाद अस्पताल से जाने को कहा। बच्चे के स्‍वजन अपने मासूम की जान बचाने मोटरसाइकिल से दूसरे अस्पताल जाने वाले ही थे तभी अस्पताल में दरवाजे पर ही बच्चे ने दम तोड़ दिया।


मासूम की मौत के बाद महिला अस्पताल के सामने अपने 9 माह के लाल के शव को लेकर रोती-बिलखती रही। मां बच्‍चे के शव को नौ घंटे तक अस्‍पताल के गेट पर नौ घंटे तक बैठी रही, लेकिन अस्पताल प्रबंधन को जरा भी तरस नहीं आया। इधर, प्रभारी कलेक्टर जितेंद्र कुर्रे ने मामले पर संज्ञान लेते हुए तहसीलदार को मौके पर भेजा।

मामला तूल पकड़ता देख अस्पताल प्रबंधन ने आनन-फानन में एंबुलेंस की व्यवस्था की। इसके बाद बच्चे के शव के साथ स्‍वजनों को उनके गृह ग्राम भिजवाया। पूरे मामले पर जिला अस्पताल के डा आदित्य ने कहा, मरीज को मलेरिया था और स्‍वजनों को बच्‍चे के गंभीर हालत के बारे में बताया गया था, रिफर करना पड़ेगा, लेकिन स्‍वजनों ने इनकार करते हुए दूसरे अस्पताल में ले जाने की बात कही। दूसरे अस्पताल में ले जाते वक्त बच्‍चे की मौत हो गई।

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