नई दिल्ली। उच्च शिक्षा की राह में पैसों की कमी अब आड़े नहीं आएगी। गरीब और कमजोर वर्ग के ऐसे छात्र, जो सरकार की किसी दूसरी स्कीम या नीति से लाभांवित नहीं है, उन्हें उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने एक बड़ा ऐलान किया है। उन्हें देश में ही उच्च शिक्षा की पढ़ाई करने पर अब दस लाख रुपए तक का सस्ता शिक्षा ऋण मुहैया कराया जाएगा। जिसमें हर साल एक लाख छात्रों को इसका लाभ मिलेगा।

इस दौरान छात्रों को वार्षिक ब्याज में तीन प्रतिशत की छूट का एक ई-वाउचर दिया जाएगा। माना जा रहा है कि इस पहल से उच्च शिक्षा के सकल नामांकन अनुपात ( जीईआर ) की रफ्तार बढ़ेगी। साथ ही उच्च शिक्षा के लिए विदेशों में होने वाले पलायन की रफ्तार पर भी थमेगी। बजट में मंगलवार को सरकार ने देश में ही उच्च शिक्षा की पढ़ाई पर सस्ते शिक्षा ऋण मुहैया कराने को लेकर यह अहम ऐलान किया है।

वैसे तो उच्च शिक्षा के लिए शिक्षा ऋण की व्यवस्था पहले से मौजूद है, लेकिन मौजूदा समय में इसकी वार्षिक ब्याज दर करीब दस फीसद है। साथ ही सात लाख से ऊपर के शिक्षा ऋण पर अभी गारंटी देनी होती है। इसके अतिरिक्त भी इनमें ढेर सारी तकनीकी दिक्कतें भी है। जिसमें सिर्फ उन्हीं संस्थानों में पढ़ाई करने पर शिक्षा ऋण दिया जाता है, जो नैक (नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडेशन काउ¨सल) या एनआईआरएफ की रैंकिंग में शामिल होते है।

खासबात यह है कि इस ऋण को चुकाने में भी छात्रों को काफी सहूलियतें दी गई है। यानी वह अपनी सुविधा के अनुसार उन्हें किश्तों में चुका सकेंगे। उच्च शिक्षा को लेकर सरकार का यह रुझान उस समय देखने को मिला है, जब उच्च शिक्षा के जीईआर को वर्ष 2035 तक पचास प्रतिशत पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। जिसे लेकर सरकार तेजी से काम कर रही है।

मौजूदा समय में देश में उच्च शिक्षा का जीईआर करीब 28 फीसद है। यानी उच्च शिक्षा हासिल करने वाली आयु वर्ग के सौ छात्रों में अभी 28 ही उच्च शिक्षा तक पहुंच रहे है। ऐसे में इसे अगले दस सालों में करीब दोगुना करने के लिए इस तरह के और भी उपायों की जरूरत होगी। वहीं उच्च शिक्षा के विदेश जाने वाले छात्रों की बात करें तो 2023 में करीब 12 लाख छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए थे। हालांकि इनमें बड़ी संख्या ऐसे छात्रों की है जिन्हें देश के अच्छे संस्थानों में दाखिला नहीं मिल पाता है।

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