नई दिल्ली। उत्तराखंड में केदारघाटी में आई आपदा के बाद बचाव और राहत कार्य में अब सेना भी जुट गई है। सेना ने गौरीकुंड-सोनप्रयाग हाईवे पर फंसे 25 घायल, बुजुर्ग और दिव्यांगों को ट्राली के जरिये से निकाला। अन्य एजेंसियों के संयुक्त अभियान चलाकर सेना ने रविवार को 1275 यात्रियों को सुरक्षित निकाला। अब तक 10374 यात्री निकाले जा चुके हैं, केदारनाथ धाम में 400 यात्री अभी फंसे हुए हैं।
लापता यात्रियों का पता लगाने के लिए डॉग स्क्वाड का इस्तेमाल हो रहा है। वर्षा के कारण ध्वस्त पड़े रास्तों और पैदल पुल को ठीक करने का काम तेजी से किया जा रहा है। उधर, हिमाचल प्रदेश में बीते दिनों बादल फटने के बाद बाढ़ आने से मरने वालों की संख्या 14 हो गई है। 41 लोग अभी लापता हैं। आपदा के चौथे दिन रविवार को पांच शव मिले हैं।केदारघाटी में 31 जुलाई की रात बादल फटने और भूस्खलन के बाद जगह-जगह फंसे तीर्थयात्रियों को निकालने के लिए विभिन्न एजेंसियां जुटी हैं। मौसम अनुकूल न होने के कारण हेली सेवा से रेस्क्यू करने में परेशानी आ रही है। रविवार को भी वायुसेना के मालवाहक हेलीकॉप्टर चिनूक और एमआई-17 उड़ान नहीं भर पाए।
छोटे हेलीकॉप्टर और पैदल मार्ग से बचाव और राहत कार्य चलाया गया। सेना के दो स्निफर डॉग पैदल मार्ग पर जगह-जगह सर्च अभियान में सहयोग कर रहे हैं। 6 ग्रेनेडियर यूनिट सीओ कर्नल हितेश वशिष्ठ के नेतृत्व मेंआपदा से धाम के क्षतिग्रस्त पैदल मार्ग को फिर से आवाजाही के लिए अनुकूल बनाने का काम भी शुरू हो गया है।
रविवार को विभिन्न मार्गों पर फंसे 640 यात्रियों को हेलीकॉप्टर और 635 को पैदल मार्ग से सुरक्षित निकाला गया। इनमें केदारनाथ से 80, लिंचोली और भीमबली से 560 यात्री शामिल हैं जिन्हें एयरलिप्ट किया गया। भीमबली, लिंचोली और चौमासी-कालीमठ पैदल मार्ग से 112 और गौरीकुंड से सोनप्रयाग पैदल मार्ग से 523 यात्रियों को सुरक्षित निकाला गया।