उड़ीसा: सुंदरगढ़ जिले के बणई उपखंड के कांटामुंडा गांव के निवासियों ने प्रशासन की उदासीनता के चलते खुद ही उफनते नाले पर लकड़ी का पुल बनाकर एक मिसाल कायम की है। इस दुर्गम गांव के 120 से अधिक परिवार बरसात के महीनों में पानी से भरे नालों के कारण पूरी तरह से दुनिया से कट जाते हैं। बरसात के चार महीने उनके लिए किसी अभिशाप से कम नहीं हैं, जहां यातायात अवरुद्ध हो जाता है और जरूरत की चीजों तक पहुंचना भी मुश्किल हो जाता है।

महिलाओं और पुरुषों ने मिलकर जंगल से लकड़ियाँ और पत्थर इकट्ठे किए और पुल और सड़क निर्माण का जिम्मा खुद उठाया। ग्रामीणों की मानें तो उन्होंने कई बार स्थानीय सरपंचों और नेताओं से गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार, उन्होंने अपने दम पर यह चुनौतीपूर्ण कार्य पूरा किया।

ग्रामीणों ने अब फिर से स्थानीय प्रशासन से सड़क की मरम्मत और स्थायी पुल की मांग की है, लेकिन सवाल यह है कि उनकी यह मांग कब पूरी होगी, या फिर उन्हें हर बार अपने दम पर ही समस्याओं का सामना करना पड़ेगा?

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