पटना। राज्य में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) 2.0 के तहत शहरी निकायों में अगले पांच वर्षों तक हर साल करीब एक लाख आवास के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए राज्य सरकार से मिलने वाली सहायता राशि भी दोगुनी हो गई है। राज्य सरकार योजना के तहत आवास निर्माण (बीएलसी) और साझेदारी में बनने वाले किफायती आवास (एएचपी) घटक के तहत प्रति आवासीय इकाई के लाभुकों को अब एक-एक लाख रुपये देगी।
पहले लाभार्थी आधारित आवास योजना में राज्य सरकार द्वारा लाभुकों को प्रति आवासीय इकाई 50 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाती थी। नई व्यवस्था के बाद योजना पर राज्य सरकार का सालाना एक हजार करोड़ रुपये का खर्च बढ़ेगा। राज्य कैबिनेट से मंजूरी के बाद सभी शहरी निकायों में इसे तेजी से लागू करने का निर्देश नगर विकास एवं आवास विभाग ने दिया है।
विभागीय जानकारी के अनुसार, योजना के तहत केंद्र सरकार पात्र परिवार को आवास निर्माण के लिए प्रति आवासीय इकाई डेढ़ लाख रुपये का अनुदान देती है। अब राज्य सरकार भी केंद्रांश के आनुपातिक एक लाख रुपये प्रति आवासीय इकाई की सहायता देगी। लाभार्थी आधारित आवास स्कीम में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को उनकी जमीन पर आवास बनाने के लिए अनुदान दिया जाता है। वहीं, साझेदारी में किफायती आवास के तहत सरकार या निजी एजेंसियों द्वारा शहरी गरीबों के लिए आवास का निर्माण कर उसका आवंटन दिया जाता है।
योजना के तहत अगर आर्थिक रूप से कमजोर या निम्न-मध्यम वर्ग आय के लाभुक होम लोन पर घर खरीदते हैं तो उन्हें ऋण ब्याज के अनुदान के रूप में अधिकतम एक लाख 80 हजार रुपये मिलेंगे। इसके लिए मिशन अवधि के दौरान लाभुकों को योजना के पोर्टल पर निबंधन कराना होगा। यह अनुदान केंद्र सरकार की ओर से मिलेगा।
इसके अलावा आवास निर्माण में नई तकनीक का उपयोग करने वाली परियोजनाओं में प्रति इकाई 30 वर्गमीटर कॉरपेट एरिया के लिए केंद्र सरकार द्वारा 1,000 रुपये प्रति वर्गमीटर अतिरिक्त अनुदान प्रदान किया जाएगा।
इसके अलावा किफायती रेंटल आवास योजना के अंतर्गत सार्वजनिक एवं निजी संस्थाओं द्वारा नई तकनीक या वैकल्पिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर किफायती आवास बनाने पर केंद्र सरकार द्वारा 3000 रुपये प्रति वर्ग मीटर (10-60 वर्ग मीटर/इकाई) की दर से राशि दिये जाने का प्रविधान है। ऐसी परियोजनाओं में राज्य सरकार भी 2000 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से राशि देगी।