बलरामपुर।बलरामपुर भारत मुक्ति मोर्चा के जिला अध्यक्ष ने 6 मुद्दों को लेकर छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के नाम डिप्टी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा चाहे वह पूर्व की कांग्रेस सरकार हो या वर्तमान की बीजेपी सरकर हो इनके द्वारा छत्तीसगढ़िया मूलनिवासियों के ऊपर निरंतर अन्याय अत्याचार किया जा रहा है। इनके आवाज को दबाया जा रहा है।
ज्ञापन में निम्नलिखित मुद्दों की मांग की ?
01.छत्तीसगढ़ में संविधान के मौलिक अधिकार आर्टिकल 19 के तहत अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। उनके कार्यक्रम पर पाबंदियां लगाई जा रही है डरा धमका कर दहशत का माहौल निर्माण किया जा रहा है, समुदाय विशेष को टारगेट कर उनके धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को छिना जा रहा है। विचार अभिव्यक्ति की आजादी को छीना जा रहा है। बलौदाबाजार में सतनामी आंदोलन के दौरान 10 जून 2024 को असामाजिक तत्वों को उकसा कर आगजनी की घटना कराई गई और न्याय की मांग करने वाले भोले भाले सतनामी भाईयों को ही आरोपी बनाकर जेलों में ठूंसा जा रहा है उनको लाठी डंडों से मारा पीटा जा रहा है, पुलिसिया कार्यवाही करते हुए समाज में डर और दहशत का माहौल बनाया जा रहा है इस कृत्य पर तत्काल रोक लगाई जाय।
02.पांचवी अनुसूची लागु होने के बावजूद छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य की धुआधार कटाई निरंतर जारी है जबकि वहां की जनता कई वर्षों से कटाई का विरोध करते आ रहे हैं आदिवासियों के जल जंगल व जमीन उद्योगपतियों को बेचा जा रहा है। सरगुजा संभाग के कई हिस्सों में अलग-अलग खदानों के नाम पर आदिवासियों को उनके जल-जंगल और जमीन से बेदखल करने का षडयंत्र रचा जा रहा है इस पर तत्काल रोक लगाई जाये।
03.ओबीसी समुदाय को उनकी संख्या के अनुपात में हिस्सेदारी देने के बजाय उनके साथ हिन्दू के नाम पर चोत्तम किया जा रहा है। एस.सी.एस.टी की तरह ओबीसी के उपर भी अन्याय व अत्याचार हो रहे है बोकतंत्र में उत्तीसगढ़ जैसे शांत प्रदेश में कवर्धा लोहारीडीह जैसे कांड होना अराजकता और कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा करता है इसके लिए सरकार व गृह विभाग जिम्मेदार है।
04.क्रिश्चियन समुदाय को टारगेट किया जा रहा बीजेपी के नेताओं द्वारा ईसा मसीह का अपमान किया जा रहा। उनके कार्यक्रम होने नहीं दिए जा रहे दिनांक 6 नवंबर 2024 को राष्ट्रीय क्रिश्चियन मोर्चा का पहला छत्तीसगढ़ राज्य अधिवेशन अंबिकापुर के राजमोहिनी भवन में निर्धारित था उस भवन को विधिवत 14,000/- रुपये शुल्क जमा कर आरक्षित कराये जाने के बावजूद कार्यक्रम के एक दिन पहले शाम 3 बजे नगर निगम अंबिकापुर के किसी कर्मचारी ने फोन कर बताया कि उक्त भवन पर आधार कार्ड संबंधित सरकारी काम लग चुके हैं इसलिये वह भवन नहीं दिया जा सकता। राष्ट्रीय क्रिश्चियन मोर्चा के कार्यकर्ता लगातार रात 10 बजे तक प्रयास करते रहे कि नगर निगम का कोई दुसरा हाल उपलब्ध हो जाये फिर भी उपलब्ध नहीं कराया गया जबकि नगर निगम के पास कुछ भवन । हाल खाली पड़े थे। हॉल नहीं देने का कारण पुछे जाने पर बताया गया कि ऊपर से बहुत दबाव है। इसका मतलब स्वयं मुख्यमंत्री के द्वारा दबाव बनाया जा रहा था कि राष्ट्रीय क्रिश्चियन मोर्चा को जगह उपलब्ध न कराया जाए। आनन-फानन में 6 नवंबर को सुबह रजवार समाज के भवन को मौखिक सहमति लेकर कार्यक्रम करना शुरु किया तब रजवार समाज के लोगों के ऊपर भी दबाव बनाया गया, पुलिस प्रशासन ने कार्यक्रम को रोका, बिजली माईक के तार कटवाए गये। अध्यक्षता करने वाले मा. डॉ विलास खरात साहब, राष्ट्रीय प्रभारी, राष्ट्रीय मायनॉरिटी मोर्चा, नई दिल्ली के द्वारा उपस्थित जनसमुदाय के बीच मजबूर होकर कुर्सी पर खड़ा होकर बिना माईक अपनी बात रखनी पड़ी, कार्यकम की तैयारी में लाखो रूपये खर्च हुये थे, उनके लाखो रूपये का नुकसान हो गया, कार्यक्रम समाप्ति के बाद राष्ट्रीय क्रिश्चियन मोर्चा के कार्यकर्ता एवं पदाधिकारियों के उपर दबाव बनाने के लिए FIR दर्ज करवाया गया, शासन प्रशासन का यह कृत्य मौलिक अधिकार का घोर हनन है। बस्तर के कुछ इलाको में क्रिश्चियनो को बेहरमी से मारा-पीटा जा रहा है। मृत शवो को सार्वजनिक श्मशानों पर दफन करने से रोका जा रहा है, कुछ लोगों के पके हुये खड़े फसल को कटवा दिया गया है जिससे क्रिश्चियन समुदाय काफी आहत है, इस तरह राज्य में मौलिक अधिकारों का हनन बर्दाश्त योग्य नहीं है यह तत्काल बन्द हो।
05.नई शिक्षा नीति 2020 को लागु कर सरकार मनुस्मृति जैसी ब्राम्हणवादी व्यवस्था पुनः प्रस्थापित करना चाहती है, राज्य के शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थानों में इसको दबावपूर्वक लागु कराया जा रहा है, यह तत्काल बंद हो।
06.चुनाव में EVM बंद हो, उपरोक्त 6 मुद्दों को लेकर तीन चरणों में चरणबद्ध आंदोलन कर मांग किया जाएगा: प्रथम चरण में 14 नवंबर को राज्य स्तर पर महामहिम राज्यपाल के नाम रायपुर में जिलाधिकारी को सामुहिक तौर पर ज्ञापन सौंपा गया, दूसरे चरण में 19 नवंबर को राज्यपाल के नाम जिलाधिकारियों को राज्य के 33 जिलों में ज्ञापन सौंपा गया, तीसरे चरण में 28 नवंबर को छत्तीसगढ़ बन्द किया जाएगा।
ज्ञापन सौंपने के दौरान धरमू एक्का, शिवचरण मरावी सिंह, अनिल खलखो, कुंवर विजय सिंह, प्रफुल्ल खलखो, ब्रह्देव नाग, बुद्धेश्वर,उत्तमदान तिर्की, रामकरण आयाम, जेंडर मिंज आदि उपस्थित थे।