बालोद: कहते हैं दान से बड़ा कोई परमार्थ नहीं होता।जीवन भर लोगों को कुछ ऐसी ज्ञान और अपने सुविचार के माध्यम से परमार्थ से जुड़ने का ज्ञान देने के बाद छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के एक संत की अद्भुत पहल सामने आई है। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिले और इलाज़ के लिए किसी को भटकना न पड़े, इस उद्देश्य से बालोद जिले के एक संत ने अपने गांव में एक अस्पताल भवन निर्माण का बीड़ा उठाया है। इस भवन निर्माण में आने वाले करीब 30- 50 लाख रुपये का खर्च भी स्वयं उठाने का निर्णय संत ने लिया लिया। जिस गांव में पहले आसानी से डॉक्टर नहीं मिलते थे, वहां अब अस्पताल बनाने की कवायद शुरू हो गई है।
बालोद जिला मुख्यालय से करीब 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम दुपचेरा में 50 लाख की रुपए दान की राशि से अस्पताल बन रहा है। यहां के 85 वर्षीय संत गुरुसुख दास साहेब ने अपनी राशि गांव में अस्पताल बनाने के लिए दान कर दी। पत्नी के निधन के बाद गुरुसुख दास ने दान करने का निर्णय लिया है।राशि दान करने के बाद ग्राम विकास समिति व ग्राम पंचायत की सहमति के बाद पंचायत के पास शासकीय भूमि पर अस्पताल निर्माण कार्य शुरू भी हो गया है।
समय पर नहीं मिलता था इलाज
गुरुसुख दास साहेब ने बताया को जीवन में मानव जाति या अन्य जीव-जंन्तु की सेवा सबसे बड़ी सेवा है। हमें बिना किसी भेदभाव के सभी प्राणियों की सेवा करनी चाहिए। कई बार सामान्य स्वास्थ्य खराब होने पर इलाज के लिए ग्रामीणों को भटकना पड़ता है।अस्पताल दूर होने से ग्रामीणों को आने-जाने में परेशानी व समयाभाव के कारण समय पर इलाज नहीं हो पाता।लेकिन अस्पताल बनने के बाद लोग यहां इलाज करा सकेंगे।उन्हें सुविधा मिलेगी।कबीर साहेब ने मानव सेवा पर जोर दिया कि हमें सभी दीन दुखियों की सेवा करनी चाहिए।