रायपुर: बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को लेकर राज्य शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद में समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बुनियादी स्तर हेतु तैयार राज्य की पाठ्यचर्या के आधार पर पाठ्य पुस्तकों को चिन्हित करने पर जोर दिया गया। लाइब्रेरी के अधिकतम उपयोग पर चर्चा की गई। ऐसे क्षेत्रों में जहां बहु भाषा का उपयोग की आवश्यकता है, उन क्षेत्रों के शिक्षकों को प्रशिक्षित करने पर जोर दिया गया।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए राज्य शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के संचालक श्री राजेश सिंह राणा ने सभी बच्चों को सिखाने की रणनीति पर आयोजित बैठक में कहा कि राज्य के बच्चों को हम बेहतर कैसे सिखा सकते हैं, बच्चों के उपलब्धि स्तर को और कैसे बढ़ा सकते हैं उनके अकादमिक प्रक्रिया में क्या-क्या परिवर्तन किया जा सकता है तथा किस तरह की पैडागॉजी को शामिल किया जा सकता है। इन मुद्दों पर उपस्थित सदस्यों से सुझाव मांगे। उपस्थित प्रतिभागियों ने सुझाव देते हुए बताया कि, अकादमी परिप्रेक्ष्य के लिए क्लास रूम की प्लानिंग की आवश्यकता है। शिक्षकों के पास डे-टु-डे की प्लान बनाने की आवश्यकता है। वर्क बुक पर डे-टु-डे कैसे कार्य किया जाए, इस मुद्दे पर शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। प्रतिभागियों ने यह भी सुझाव दिया कि टीचर गाइड का क्रियान्वयन किया जाए। कक्षा कक्ष के भीतर ऐसे बच्चों को चिन्हित किया जाए जो नहीं सीख पा रहे हैं। अतः फॉर्मेटिव एसेसमेंट का क्रियान्वयन उचित ढं़ग से किया जाए। अधिकांश शिक्षक पुरानी पद्धति के साथ शिक्षण कराते हैं।
बैठक में बताया गया कि सुग्घर पढ़वईया कार्यक्रम में अधिकांश विद्यालय ने चुनौती ली है। ऐसे विद्यालय जिन्होंने अभी तक चुनौती नहीं ली है उन्हें इसके लिए प्रेरित किया जा रहा है ताकि शत-प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति हो तथा अधिक से अधिक संख्या में विद्यालयों को स्वयं का आकलन कर थर्ड पार्टी आकलन हेतु अनुरोध किए जाने हेतु तैयार किया जावेगा। इसके लिए उन्हें आवश्यकता आधारित प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराया जाएगा।
बैठक में मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (थ्स्छ) में राज्य में सहयोग कर रहे एनजीओ आह्वान ट्रस्ट, रूम-टू-रीड, एलएलएफ, एपीएफ, संपर्क फाउंडेशन, एवं स्टोरी विवर, प्रथम एवं परिषद के अकादमिक सदस्य उपस्थित थे।