रायगढ़:धरमजयगढ़ मे भारतमाला परियोजना का काम तेजी से चल रहा हैं जिसमे कभी बिना मुआवजा के पेड़ कटाई कि बात सामने आती है तो कभी गैरकानूनी रूप से पेड कटाई कि बात आती हैं, हाल ही मे खबर सामने आ रही थी कि भारतमाला परियोजना मे कट रहे पेड़ को लावारिस फेक दिया गया हैं जिसे लेकिन हैरान कर देने वाली खबर सामने आई सुबह होते ही बाकारुमा के पास अचानक सडक निर्माण का कार्य चालू कर दिया गया जिसे जैसे ही गाँव वालों ने देखा उनके पैरो तले ज़मीन खिसक गयी उन्हें कुछ देर तो समझ ही नहीं आया कि यहाँ हो क्या रहा हैं जिसके बाद पूछने पर उन्हें पता चला कि भारतमाला का कार्य चालू किया जा रहा जिसके बाद गाँव वालों ने पुछा कि हमारे मुआब्जे का पैसा कहा गया अभी तक हमको मुआब्जा नहीं मिला हैं और आप लोग काम चालू कर दिए हैं जिसके जवाब मे कंपनी वालो ने कहा कि सभी का मुआब्जा मिल चूका हैं आप हमें काम करने दीजिये जिसके बाद दर्जनों गाँव के लोगो ने मिलकर हंगामा करना चालु कर दिया और चल रहे काम को रुकवा दिया जैसे ही इसकी खबर कंपनी के बड़े अधिकारियो को मिली सभी मामले को समेटने मे जुट गया।



समाचार बनाने गए पत्रकारों से कर्मचारियों ने किया बहस

वही ज़ब मौक़े पर पहुंच कर्मचारियों से पत्रकारों द्वारा बातचीत कि गयी तब कर्मचारी द्वारा सीधे कह दिया गया कि आपका ज़मीन यहाँ नहीं हैं तो आप प्रश्न मत करिये जिसका विरोध करने के बाद कर्मचारी ने बताया कि गाँव वालों कि गलती हैं तो इसमें हम क्या करें उसके बाद उसने कहा कि अभी हम सिर्फ साफ सफाई कर रहे हैं तब यह प्रश्न उठता हैं कि क्या बिना किसानो के खाते मे पैसे आये बिना किसानो कि सहमति लिए कंपनी को उनके खेतो मे मशीन उतारकर काम चालु करने का अधिकार किसने दिया और क्यों…? क्या कंपनी को धरमजयगढ़ के शासन-प्रशासन से डर नहीं या इसमें किसी कि मिलीभगत तो नही…?



गाँव वालों से कहा पेड़ का प्रमाण दिखाओ तब पैसे मिलेंगे

गाँव वालों ने बताया कि सबसे पहले उन्हें कहा गया कि उनके ज़मीन का पैसा खाते मे आ चूका हैं जिसमे सारे चीजों का पैसा हैं फिर उसके बाद उनके ज़मीनो से सारे पेड़ो को काट दिया गया ज़ब गाँव वालों को पता चला कि उनके खेत मे पड रहे पेड़ो का मुआब्जा उन्हें नहीं मिला है तब उन्होंने पुछा कि पेड़ो का पैसा कब मिलेगा तब उन्हें ये कहकर भगा दिया गया कि आपके ज़मीन मे पेड़ तो थे ही नहीं और अगर पेड़ थे तो उसका प्रमाण क्या हैं आपके पास, अगर प्रमाण होगा तो पैसे मिल जायेंगे और अगर प्रमाण नहीं हुआ तो हम पैसे कहा से देंगे कहकर किसानो के खेत मे मशीन लगाकर काम चालू कर दिया गया।

किसानों ने कहा कि सर्वे मे फर्जी ज़मीन का नंबर दल  मुआवजा का चल रहा खेल

गाँव वालों से बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि भारतमाला परियोजना के रास्ते मे पड रहे ऐसे भी कई सारे ज़मीन हैं जों दूर दूर तक इस परियोजना मे आस पास भी नहीं है और ना ही किसी प्रकार के सर्वे मे उनका जानकारी हैं लेकिन फिर भी फर्जी तरीके दिखाकर उस ज़मीन का मुआब्जा पास कर दिया गया जों किसका हैं और किसके पास गया इसकी कोई जानकारी नहीं हैं और ज़ब वह ज़मीन उस परियोजना के रास्ते मे हैं ही नहीं तो उस ज़मीन को किस अधिकारी के द्वारा पास किया गया

परियोजना मे पड़ रहे ज़मीन का मुआवजा घोटाला

कई गाँव वालों ने बताया कि ज़ब परियोजना का काम चालु किया गया था तब उनके ज़मीन का नंबर सर्वे रिपोर्ट मे था ज़ब गाँव वाले   मुआवजा का इंतजार कर रहे थे तब लम्बे समय इंतजार करने के बाद भी उनका मुआब्जा नहीं आया जिसके बाद उनको जानकारी मिली कि उनके ज़मीन का मुआब्जा बना ही नहीं हैं उन्हें बताया गया कि उनका ज़मीन परियोजना के अंतर्गत आ ही नहीं रहा हैं पर असलियत मे उनका ज़मीन उसी रास्ते के अंतर्गत आ रहा हैं जिससे गाँव वाले परेशान हैं कि उनका ज़मीन पर सडक बन जाने के बाद उनको मुआब्जा कैसे मिलेगा और कौन देगा?

गाँव वालों के अनुसार उन्हें फर्जी चेक देकर पैसा हड़पने कि कोशिश

हंगामा कर रहे सूबे चंद राठिया ने बताया कि उनके ज़मीन का मुआब्जा लगभग 6 लाख बनाया गया हैं जिसका चेक लेने के लिए उन्हें राजस्व कार्यालय का कई दिन चक्कर लगाना पड़ा जिसके बाद उन्हें चेक मिला फिर किसान द्वारा चेक को कोरबा के बैंक मे लेजाकर जमा किया गया जिसके बाद उन्हें बताया गया चेक देने वाले खाते मे पैसा ही नहीं हैं ज़ब खाते मे पैसा आएगा तब आपके खाते मे जमा कर दिया जायेगा जिसके बाद किसान ने बताया कि अभी लगभग 5-6 महीने बीत चुके हैं अभी तक उनके खाते मे पैसा नहीं आया हैं

गाँव वालों को बैंक के नाम पर भटकाया गया

कई किसानो ने बताया कि उनके द्वारा बैंक खाता खोल मुआब्जा के लिए जमा कर दिया गया हैं लेकिन मुआवजा नहीं आने के बाद उन्हें बताया जा रहा हैं कि छत्तीसगढ़ के बैंक मे पैसा नहीं आएगा दूसरे बैंक मे खाता खोलवाकर ले आईये ।

पटवारी ने लिया सर्वे के नाम पर गाँव वालों से पैसा

किसानो मे से एक किसान विनोद राठिया ने बताया कि उस समय ज़ब भारत माला परियोजना का सर्वे काम चल रहा था तब पटवारी गोविन्द बड़ा द्वारा कई किसानो को डरा धमाका कर उनसे पैसे कि माँग कि गई। पटवारी द्वारा विनोद राठिया को कहा गया कि 80000 रूपये दो तभी सर्वे मे आपके ज़मीन जायदाद कि जानकारी जोड़ी जायेगी अगर पैसे नहीं दिए तब मै आपके ज़मीन जायदाद का सर्वे नहीं करूंगा ।

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