जगदलपुर:बस्तर के लोहंडीगुड़ा ब्लॉक के ग्रामीण इलाकों में शिक्षक कठिन हालातों में भी बच्चों को शिक्षित करने के अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं। अमलीधार, कोडेनार और टेटम जैसे गांवों में शिक्षक-शिक्षिकाओं को स्कूल पहुंचने के लिए लकड़ी की डोंगी से नदी पार करनी पड़ती है। इनमें से कोडेनार गांव, जो जिला मुख्यालय से 75 किमी दूर है, पूरी तरह आदिवासी आबादी वाला क्षेत्र है।
कोडेनार के प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय का संचालन अस्थाई शेड में किया जा रहा है, क्योंकि यहां स्थायी भवन नहीं है। चँदाराम कश्यप और शिक्षिका प्रेम कुंवर इन स्कूलों के संचालन की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। दोनों शिक्षकों को रोज़ नदी पार करने के बाद जंगल और पहाड़ियों के रास्ते से गुजरकर स्कूल पहुंचना होता है।
गांव में रहने की उचित सुविधा न होने के कारण चँदाराम 35 किमी दूर आमाबाल से और प्रेम कुंवर 15 किमी दूर ककनार से स्कूल आने-जाने को मजबूर हैं। बावजूद इसके, दोनों शिक्षक अपनी ड्यूटी के प्रति पूरी निष्ठा से काम कर रहे हैं। शिक्षा अधिकारी शालिनी तिवारी ने बताया कि कोडेनार में बिजली और मोबाइल नेटवर्क की समस्या भी है, जिससे काम करना और चुनौतीपूर्ण हो जाता है।