रायपुर: लौह अयस्क पर लगे निर्यात शुल्क के बाद अब इसकी कीमतों में गिरावट शुरू हो गई है। बीते छह महीनों में लौह अयस्क की कीमतों में 4,000 रुपये प्रति टन की गिरावट आई है। उद्योगपतियों का कहना है कि छह महीने पहले तक 12 हजार रुपये प्रति टन में लौह अयस्क मिल रहा था। बताया गया है कि निर्यात शुल्क में बढ़ोतरी की वजह से विदेश में लौह अयस्क की मांग घटी है, जिससे दाम कम हुए हैं।
अभी लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क 50 प्रतिशत और पैलेट पर निर्यात शुल्क 45 प्रतिशत लगाया जा रहा है। उद्योगपतियों का कहना है कि पहले लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क नहीं के बराबर लगता था। इसके चलते ज्यादातर लौह अयस्क बाहर ही जा रहा था और स्थानीय उद्योगों को महंगा लौह अयस्क मिलता था। अब निर्यात शुल्क लगने के बाद लौह अयस्क की कीमतों में गिरावट आई है।
छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी ने बताया कि आयरन ओर की कीमतों में गिरावट आना काफी अच्छी बात है, लेकिन अब स्थानीय उद्योगों को घरेलू कोयला मिलना चाहिए। कोयले की कमी के चलते उद्योगों का उत्पादन ही 50 प्रतिशत कम हो गया है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार के प्रभाव से इन दिनों विदेशों से आयातित कोयला भी थोड़ा सस्ता हो गया है। बताया जा रहा है कि पखवाड़े भर पहले तक 15 से 16 हजार रुपये प्रति टन में मिलने वाला विदेशी कोयला अब 13 से 14 हजार रुपये प्रति टन में उपलब्ध हो रहा है। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड से कोयला न मिल पाने के कारण उद्योगपतियों द्वारा इन दिनों आस्ट्रेलिया, रूस से कोयला मंगाया जा रहा है। घरेलू कोयला न मिल पाने से विदेशी कोयले की मांग में भी वृद्धि हुई है।
उद्योगपतियों का कहना है कि भले ही अभी विदेशी कोयला भी थोड़ा सस्ता होने लगा है, लेकिन उन्हें घरेलू कोयला चाहिए। लिंकेज पालिसी को लागू किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें घरेलू कोयला मिल सके। इसके लिए उद्योगपतियों की साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के अधिकारियों से कई बार चर्चा भी हो चुकी है। कोयले की समस्या को लेकर उद्योगपति राज्य और केंद्र शासन के पास भी गुहार लगा चुके हैं। इन्होंने चेतावनी दी है कि त्योहार के बाद उद्योगपतियों द्वारा प्लांट बंद कर हड़ताल किया जाएगा।