जगदलपुर: छत्तीसगढ़ के बस्तर में हुए झीरम हमले के आज 10 बरस पूरे हो गए हैं। दसवीं बरसी पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज बस्तर पहुंचे हैं। यहां संभागीय मुख्यालय जगदलपुर के झीरम मेमोरियल में पहुंच नक्सल घटना में मारे गए नेताओं और जवानों को श्रद्धांजलि दी। साथ ही उनके परिजनों से भी मुलाकात की।
सीएम ने परिवर्तन यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि नंदकुमार पटेल कहते थे हमें आदिवासियों के जीवन में परिवर्तन लाना है। लेकिन परिवर्तन का संकल्प लेने वाले हमारे नेता आज हमारे बीच नहीं है। सीएम ने आगे कहा कि इस घटना से किसको फायदा मिला। नक्सली घटना करते हैं और उस स्थान को छोड़ देते हैं। लेकिन ऐसा पहली हुआ जब ब्लास्ट किये फिर गाड़ी रोककर गोलियों की बौछार हुई। हमारे साथी कहीं न कहीं छिप गए थे।
नक्सली एक-एक व्यक्ति से पूछ रहे थे कि महेंद्र कर्मा कौन हैं। एक चट्टान के पीछे कवासी काखमा छिपे हुए थे। जिन्हें पकड़ कर ले गए फिर बाद में छोड़ दिए। दिनेश पटेल की भी हत्या कर दी गई। महेंद्र कर्मा जिसे हम बस्तर टाइगर कहते थे। एक-एक कर सब उन्हें मार रहे थे तो उन्होंने कहा कि गोलियां चलाना बंद करो, बेकसुरों को मारना बंद करो। मैं हूं महेंद्र कर्मा। 85 बार उनके शरीर को गोदा गया। लेकिन, महेंद्र कर्मा ने माफी नहीं मांगी उन्होंने अपना बलिदान दे दिया। अपने लिए नहीं बल्कि, बस्तर, और देश के लिए खुद को कुर्बान कर दिया।
प्रधानमंत्री आए, उन्होंने NIA जांच की घोषणा की। हम लोग आक्रोशित थे। सब को ढांढस बंधाया। किसी तरह की हिंसा का सहारा हमें नहीं लेना है। मनमोहन सिंह ने राज्य सरकार को बर्खास्त नहीं किया। बल्कि NIA जांच की घोषणा की । PM ने एक जांच कमेटी बनाई। NIA ने प्राथमिकी दर्ज की, उसमें इसकी गणपति और रमन्ना का भी नाम था। जैसे ही महेन्द्र कर्मा, नन्दकुमार पटेल हाथ लगे उन्होंने अपना ऑपरेशन बंद कर किया।