रायपुर: बस्तर का एक रूप यहां की कलात्मकता, बस्तर की रचनाधर्मिता है! बस्तर के इसी रूप से बाकी दुनिया को परिचित कराने राज्य सरकार ने नई पहल की है. बस्तर की तस्वीर पर छाए काले कोहरे को हटाने राज्य सरकार ‘‘बादल’’ लेकर आयी है. यह बादल (BADAL) है – ‘बस्तर अकादमी ऑफ डांस, आर्ट, लिटरेचर एण्ड लैंग्वेज’.
राज्य में तीन साल पहले गठित नई सरकार का ध्येय वाक्य ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ है. इसी ध्येय को लेकर राज्य सरकार छत्तीसगढ़ के विकास में नए मॉडल पर काम कर रही है और यह मॉडल है समावेशी विकास का नया छत्तीसगढ़ मॉडल. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के केन्द्र में रहे बस्तर की तस्वीर बदलने की कवायद राज्य सरकार ने की है. अब तक नक्सलवाद को लेकर होती रही छत्तीसगढ़ की पहचान को बीते तीन साल में ही बदलने में राज्य सरकार ने सफलता हासिल कर ली है. अब छत्तीसगढ़ को गांव, गरीब, किसान समेत समावेशी विकास पर काम करने वाले प्रदेश के रूप में जाना जाता है. बीते तीन साल से लगातार देशभर में छत्तीसगढ़ स्वच्छतम राज्य का पुरस्कार ले रहा है. छत्तीसगढ़ की स्थानीय संस्कृति और परम्परा को पुनर्स्थापित करने की दिशा में राज्य सरकार का प्रयास रंग लाया है. छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान और गर्व की अलख यहां के लोगों में जागी है.
ऐसे में ‘‘बादल’’ (‘बस्तर अकादमी ऑफ डांस, आर्ट, लिटरेचर एण्ड लैंग्वेज’) के जरिए लाल आतंक से परे बस्तर के विभिन्न आदिवासी कलाओं, लोकगीत, नृत्यकला, शिल्पकला, संस्कृति, भाषा, साहित्य, खान-पान, वेशभूषा के संरक्षण और विकास के लिए काम होंगे. वहीं बस्तर क्षेत्र की हल्बी, गोंडी, धुरवा, भतरी जैसी बोली-भाषाओं से नई पीढ़ी के साथ ही पर्यटकों, शोधार्थियों को भी अवगत कराया जाएगा. उम्मीद है कि अब तक एक क्षेत्र विशेष तक सीमित इन बोलियों के व्यापक प्रसार में यह पहल महत्वपूर्ण कदम होगा. दूसरी ओर राज्य सरकार के इस पहल से बस्तर के पर्यटन में इजाफा होगा तो वहीं स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. जाहिर है कि बस्तर के आकर्षक लौह शिल्प, माटी शिल्प, गोदना कला और हस्तशिल्प को देखने पर पर्यटक आकर्षित होंगे ही.
विपरीत परिस्थितियों में भी अनेक उपलब्धियों को हासिल करने वाले बस्तर को लेकर कुछ समय पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने लोकवाणी कार्यक्रम में उल्लेख किया था और सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने के लिए बस्तर के युवाओं के प्रयास की सराहना भी मुख्यमंत्री श्री बघेल कर चुके हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उम्मीद जताई है कि बस्तर में स्वावलंबन की नई कहानी लिखकर नक्सलवाद को पीछे हटाया जा सकता है.