रायपुर:- छत्तीसगढ़ आज 21 वर्ष पूरे हो गए हैं. देखिए 22वें साल में कदम रखने वाले इस राज्य ने दुनिया में कैसे अपनी अलग पहचान बनाई…

शिक्षा – अकेले रायपुर में ये सभी उच्च शिक्षण संस्थान

  1. आईआईटी: रायपुर-भिलाई के बीच 2016 में इसकी स्थापना की गई.
  2. ट्रिपल आईटी: नया रायपुर में 2015 में इस कॉलेज की स्थापना की गई.
  3. आईआईएम: देश के 10वें आईआईएम की स्थापना 2010 में रायपुर में की गई.
  4. एनआईटी: 1 दिसम्बर 2005 को इस कॉलेज को केंद्र ने एनआईटी का दर्जा दिया.
  5. हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी: 2003 में नया रायपुर में स्थापना की गई.
  6. एम्स: 2012 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने रायपुर में स्थापना की.

उद्योग – नक्सल क्षेत्रों में भी उद्योगों ने पकड़ी रफ्तार

  1. डैनेक्स: दंतेवाड़ा की इस फैक्ट्री में नक्सल पीड़ित महिलाओं को भी रोजगार दिया जा रहा.
  2. लौह अयस्क: सबसे श्रेष्ठ लौह अयस्क का उत्पादन दल्ली-राजहरा व बैलाडीला से होता है.
  3. कोसा सिल्क: जांजगीर से उच्च गुणवत्ता का कोसा सिल्क पूरी दुनिया में निर्यात किया जाता है.
  4. एनएमडीसी: किरंदुल-बचेली से देश को मिलता है 67 प्रतिशत लौह अयस्क.

पर्यटन – ऐसे-ऐसे पर्यटन स्थल जो देश में कहीं और नहीं

चित्रकोट: ये देश का सबसे चौड़ा जलप्रपात है। इसे भारत का नियाग्रा भी कहते हैं.

ठिनठिनी: दरिमा एयरपोर्ट के पास इन पत्थरों को ठोकने पर धातुओं जैसी आवाज आती है.

दलदली जमीन: मैनपाट में मृत घासों के बीच वैक्यूम बनने से जमीन गद्दे की तरह हिलती है.

उल्टा पानी: मैनपाट के विसरपानी में ऐसा लगता है कि पानी ऊपर की ओर बह रहा है.

धरोहर

  • भोरमदेव: 10वीं सदी में फणी नागवंश काल में बने इस मंदिर को छग का खजुराहो कहा जाता है.
  • सिरपुर: दक्षिण कौसल की राजधानी रह चुके इस जगह पर चीनी यात्री व्हेनसांग आए थे.

कृषि

  • सीताफल: कांकेर जिले में सीताफल के 3.19 लाख पेड़ हैं। इससे आइसक्रीम भी बन रही है.
  • धान: छग में सर्वाधिक 198 राइस मिल धमतरी में हैं। 1.40 लाख हेक्टेयर में खेती होती है.

स्वास्थ्य

श्री सत्य साईं संजीवनी अस्पताल: रायपुर में बिना कैश काउंटर वाला ये अस्पताल बच्चों के दिल की बीमारी का फ्री इलाज करता है.

कला

इंदिरा कला एवं संगीत विवि खैरागढ़: एशिया का पहला विवि जो पूरी तरह से संगीत, नृत्य, ललित कला व रंगमंच के लिए समर्पित है.

तकनीक

बीएसपी: 1955 में स्थापित यह भारत का पहला इस्पात उत्पादक संयंत्र है। यहां मुख्यतः रेलपांत का उत्पादन किया जाता है.

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