रायपुर: राज्य के वनांचल क्षेत्रों में लाख की खेती, आज कई ग्रामीण किसान परिवारों के लिए आय का जरिया बन रहा है। प्रदेश के कई जिले के किसान भी लाख का उत्पादन कर अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दे रहे हैं। दंतेवाड़ा जिले में हीरानार व जोड़ातराई ग्राम के किसानों ने भी सेमियालाता के पौधे में लाख उत्पादन कर समृद्ध हो रहे है। हीरानार व जोड़ातराई ग्राम के किसानों को एक-एक एकड़ में सेमियालाता लगाने दिया गया था, जिसमें हीरानार के किसान ने 25 हजार व जोड़ातराई के किसान ने 35 हजार रुपये, पहले वर्ष लाख बेच कर कमाया है।
किसानों का कहना है कि सेमियालाता के पौधा का उचित प्रबंधन से प्रत्येक वर्ष उत्पादन में वृद्धि होती है, साथ ही इस पौधे के बीच में अंतरवर्ती फसलों की भी खेती की जा सकती है, इस पौधा का बेहतर प्रबंधन कर किसान अच्छी आय का सृजन कर सकते हैं। जिले में लाख का उत्पादन एक अच्छा लघु उद्योग है, जिसे किसान जंगलो में उपलब्ध कुसुम, बेर या पलाश के पौधों से प्राप्त करते हैं। ये पौधे लगभग बड़े होने के कारण प्रबंधन में थोड़ी परेशानी आती है जिससे उत्पादन भी कम होता है, व पर्याप्त रूप से उत्पादन नहीं ले पाते थे। लेकिन कृषि विज्ञान केंद्र, गीदम की पहल से लाख उत्पादन हेतु सेमियालाता पौधा का परिचय किसानों को कराया गया और इसके प्रबंधन के लिए विस्तार से जानकारी दी गई।
सेमियालाता एक प्रकार का ऐसा पौधा है जो पांच से सात फीट तक ऊँचा होता है, इसे पड़ती बंजर भूमि में भी इसकी खेती की जा सकती है। इस पौधे में पानी की कम जरूरत होती है और अधिक ऊंचाई न होने के कारण इसमें आसानी से लाख कीट पाला जा सकता है व इसका प्रबंधन भी सरलता से कर सकते हैं। इस पौधे से साल में दो बार उत्पादन लिया जा सकता है, सेमियालाता आने वाले समय में लाख उत्पादन का एक अच्छा साधन बन सकता है।