Hindi Diwas 2023: भारत में कई तरह की भाषाएं बोली जाती हैं। ज्यादातर भारत वासियों की मातृभाषा हिंदी है। हिंदी को चाहे राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिला हो, लेकिन हिंदी की पहचान राजभाषा के तौर पर जरूर है।

भारत में समय के साथ अंग्रेजी भाषा का चलन अधिक बढ़ गया है, लेकिन आज भी हिंदी का महत्व बनाए रखने के लिए सरकारी दफ्तरों में आधिकारिक तौर पर कामकाज हिंदी में ही किया जाता है। हिंदी का महत्व और उपयोगिता बढ़ाने के लिए हिंदी दिवस (Hindi Diwas) मनाया जाता है। हिंदी का प्रचार प्रसार देश-विदेश में किया जा रहा है। इसको बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय हिंदी दिवस और विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। लेकिन लोगों में इस बात को लेकर उलझन रहती है कि विश्व हिंदी दिवस और राष्ट्रीय हिंदी दिवस कब मनाया जाता है।

दरअसल, हिंदी दिवस से जुड़ी दो तारीखें हैं, एक 10 जनवरी और दूसरी 14 सितंबर। 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है और 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। दोनों का उद्देश्य एक ही है। देश-विदेश में हिंदी का प्रचार प्रसार करने के लिए ही हिंदी दिवस मनाया जाता है। दो बार हिंदी दिवस इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि भारत में हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा था। जिसके चलते 14 सितंबी राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है और 10 जनवरी को हिंदी दिवस की शुरुआत इसलिए हुई, ताकि दुनियाभर मे को वही दर्जा मिले।

कैसे हुई विश्व हिंदी दिवस की शुरुआत

10 जनवरी को हर साल दुनियाभर में विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। दुनियाभर में हिंदी के प्रसार प्रचार के उद्देश्य से ही ये दिन मनाया जाता है। महाराष्ट्र के नागपुर में 10 जनवरी 1975 को सबसे पहला विश्व हिंदी दिवस सम्मेलन आयोजित किया गया था। जिसमें 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे और इसके बाद इस दिन को विश्व हिंदी दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की गई। नॉर्वे के भारतीय दूतावास ने पहली बार विश्व हिंदी दिवस मनाया।

कैसे हुई राष्ट्रीय हिंदी दिवस की शुरुआत

आजादी के बाद से ही राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी। 14 सितंबर 1946 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया था। इसके बाद 14 सितंबर को संसद में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन को हिंदी दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की। आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय हिंदी दिवस पहली बार 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था।

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