बलरामपुर: जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग के निर्देशन में महिला एवं बाल विकास विभाग के सुपरवाईजर, ऑगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं चाईल्ड लाईन को जिले के क्षेत्रों में बाल विवाह होने की सूचना प्राप्त हुई थी। प्राप्त सूचना के आधार पर संयुक्त टीम द्वारा 03 बालिका एंव 02 बालक के निवास ग्राम में मौके पर पहुंचकर उक्त बालक/बालिका के जन्म संबंधी प्रमाण पत्र का निरीक्षण किया गया तथा निरीक्षण में पाया गया कि संबंधित बालक/बालिका का उम्र विवाह योग्य नहीं है। विवाह हेतु निर्धारित अवधि पूर्ण नहीं होने पर माता-पिता एवं सगे संबंधियों को समझाईश देकर बाल विवाह होने से रोका गया। साथ ही वहां उपस्थित लोगों को बताया गया कि बाल विवाह केवल एक सामाजिक बुराई ही नहीं अपितु कानूनन अपराध भी है।
बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण, शिशु-मृत्यु दर एवं मातृ-मृत्यु दर के साथ घरेलू हिंसा में भी वृद्धि होती है। विवाह हेतु लड़के की उम्र 21 वर्ष तथा लड़की की उम्र 18 वर्ष निर्धारित है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत बाल विवाह करने वाले वर एवं वधु के माता-पिता, सगे-संबंधी, बाराती यहां तक कि विवाह कराने वाले पुरोहित पर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। कोई भी व्यक्ति जो जानबूझकर ऐसी निषेधाज्ञा का उल्लंघन करता है तो उसे दो वर्ष तक के कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 01 लाख रूपये तक हो सकता है। इसके अलावा वर या कन्या बाल विवाह के पश्चात विवाह को स्वीकार नहीं करते हैं तो बालिग होने पर विवाह को शून्य घोषित करने हेतु आवेदन कर सकते हैं।
जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग ने जिले वासियों से अपील की है कि लड़के का उम्र 21 वर्ष तथा लड़की की उम्र 18 वर्ष पूर्ण होने के पश्चात ही विवाह करें। यदि किसी व्यक्ति को बाल विवाह की जानकारी प्राप्त होती है तो जिला बाल संरक्षण अधिकारी मोबाइल नम्बर 9826278915 या टोल फ्री नम्बर 1098 पर कॉल करके एवं अपने ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव, शिक्षक, कोटवार, तहसीलदार, थाना प्रभारी, पर्यवेक्षक एवं ऑगनबाड़ी कार्यकर्ता को अविलंब सूचित करें। आपकी जानकारी गोपनीय रखी जायेगी।