कोरिया: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने हाल ही में बलरामपुर- रामानुजगंज जिले के राजपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में राज्य के बिलासपुर और सरगुजा संभाग में करमा महोत्सव के भव्य आयोजन की घोषणा की थी। यह महोत्सव राज्य की जनजातीय संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयोजित किया जाएगा।करमा महोत्सव का आयोजन चार चरणों में किया जाएगा। 17 अक्टूबर 2024 को ग्राम पंचायत स्तर पर, 21-22 अक्टूबर को विकासखंड स्तर पर, 25 अक्टूबर को जिला स्तर पर और 26 अक्टूबर को राज्य स्तर पर अम्बिकापुर में यह महोत्सव मनाया जाएगा।
छत्तीसगढ़ शासन के आदिम जाति विकास, अनुसूचित जाति विकास, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास विभाग के प्रमुख सचिव श सोनमणि बोरा ने इस सम्बंध में विस्तृत रूपरेखा जारी की है। छत्तीसगढ़ की जनजातीय जनसंख्या और उनकी विविधता को ध्यान में रखते हुए यह महोत्सव राज्य के जनजातीय समुदायों के लिए विशेष महत्व रखता है। करमा महोत्सव के दौरान जनजातीय समुदाय द्वारा मनाए जाने वाले नृत्य और रीति-रिवाजों को प्रदर्शित किया जाएगा। इस महोत्सव में श्सेंदो नृत्यश् सहित अन्य पारंपरिक नृत्यों के माध्यम से जनजातीय कला और संस्कृति को बढ़ावा दिया जाएगा। इस महोत्सव का संचालन संभागीय आयुक्त के मार्गदर्शन में और संबंधित जिला कलेक्टर के नियंत्रण में किया जाएगा।
संस्कृति और परंपरा को संरक्षण का संकल्प
करमा महोत्सव छत्तीसगढ़ की जनजातीय पहचान को प्रकट करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा। नवाखाई करमा, कुवार या बदना करमा पर्व, और कार्तिक माह में भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक दसई या रईज पर्व को पूरे जिले में हर्षाेल्लास के साथ मनाया जाता है।ग्राम पंचायत स्तर पर निर्णायक समिति में प्रधान पाठक अथवा स्थानीय स्कूल के सहायक शिक्षक अध्यक्ष होंगे, विकासखण्ड स्तर पर प्राचार्य, स्थानीय हायर सेकेंडरी स्कूल अध्यक्ष होंगे, जिला व राज्य स्तर पर सहायक संचालक आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, मुख्यालय रायपुर अध्यक्ष होंगे।
राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली टीम को 1 लाख रुपए, द्वितीय स्थान को 51 हजार रुपए और तृतीय स्थान को 31 हजार रुपए का नकद पुरस्कार प्रदान किया जाएगा, जबकि अन्य प्रतिभागी टीमों को सांत्वना पुरस्कार स्वरूप 5,100 रुपए दिए जाएंगे