अंबिकापुर: राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अंबिकापुर के राजनीति विज्ञान विभाग एवं समाजशास्त्र विभाग ने संयुक्त रूप से स्वामी विवेकानंद के बारे में एक व्याख्यान आयोजित किया। इस व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ पुनीत कुमार राय, प्राध्यापक, शासकीय अरुण सिंह देव महाविद्यालय शंकरगढ़,जिला बलरामपुर ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ प्रतिभा सिंह, विभागाध्यक्ष, समाजशास्त्र विभाग ने की। स्वामी विवेकानंद एवं भारत का नवजागरण विषयक इस व्याख्यान में डॉ पुनीत कुमार राय ने भारत की संत परंपरा को भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण वाहक बताया। इस परंपरा में संतो ने अपने तप,त्याग व कर्म से इस संस्कृति को सींचा है।उन्होंने विवेकानंद के वैज्ञानिक विचार,धर्म की समझ, पूर्व-पश्चिम का समावेश करना व अपनी संस्कृति पर गर्व करना।
वर्तमान परिवेश में पूरी शक्ति के साथ धर्म को प्रतिस्थापित करने का कार्य किया ।1893 के शिकागो सम्मेलन से उनकी प्रसिद्धि व प्रतिष्ठा विश्वभर में फैल चुकी थी लेकिन उनका हृदय में भारत की पीड़ा के लिए हमेशा चिंतित रहते थे। पुनीत राय ने इसके साथ-साथ उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस और उनके आपसी संबंधों, विवेकानंद के भारत भ्रमण के माध्यम से भारत के संदर्भ में अपने बोध को बढ़ाना और अमेरिका से लौट के भारत की यात्रा प्रबोध के रूप में करना बहुत महत्वपूर्ण था। भारत की सामाजिक,आर्थिक,सांस्कृतिक व राजनीतिक क्षेत्रों से जुड़े राष्ट्रीय आंदोलन के नेताओं पर विवेकानंद का स्पष्ट प्रभाव देखने को मिलता है। आज भी युवा संन्यासी उतना ही प्रासंगिक है जितना की एक सदी पहले था।यह उनके विचारों की स्पष्टता, दूरदर्शिता व प्रासंगिकता को स्पष्ट करता है। आज भी युवाओं के प्रेरणास्तोत्र के रूप में एक बड़ा व्यक्तित्व है। कार्यक्रम में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉक्टर प्रतिभा सिंह ने स्वामी विवेकानंद के विचारों का छात्र जीवन में महत्व,समाज जीवन में महत्व पर प्रकाश डाला साथ ही उन्होंने मुख्य वक्ता की कही हुई बातों की प्रशंसा की ।इस कार्यक्रम का संचालन कुलदीप चतुर्वेदी ने किया।
इस कार्यक्रम में समाजशास्त्र विभाग से डॉ प्रदीप एक्का ,राजनीति विज्ञान विभाग से डॉ पीयूष पांडे, विनीत कुमार गुप्त एवं हिंदी विभाग से डॉ दीपक सिंह एवं डॉ उमेश कुमार पांडे प्राध्यापकगण उपस्थित रहे साथ ही बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।