सूरजपुर: सूरजपुर जिले के प्रतापपुर जनपद पंचायत की सभापति अनिता जायसवाल ने अधिकारियों और जनपद पंचायत की उपाध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाया है और कहा है कि 15 वित्त मद की राशि में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है। जनपद पंचायत में 25 जनपद पंचायत सदस्य हैं लेकिन क्षेत्र के जनसंख्या के आधार पर 15 वित्त मद की राशि का वितरण करने के बजाय जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष को 70 लाख रुपए विकास कार्यों के नाम पर दे दिया गया है वहीं अन्य जनपद सदस्यों को नियमानुसार राशि का वितरण नहीं किया गया है जिससे उनके क्षेत्र का विकास कार्य प्रभावित हुआ है। सभापति ने कलेक्टर के नाम आवेदन देकर जांच के साथ कार्रवाई की मांग की है साथ ही साथ जनपद पंचायत के कर्मचारियों पर भी कई गंभीर रूप लगाए गए हैं।
जनपद पंचायत के सभापति अनीता जायसवाल ने कलेक्टर को दिए आवेदन में बताया है कि तत्कालीन सीईओ प्रतापपुर ने 31 जनवरी 2024 सहित अन्य तारीख को सामान्य सभा की बैठक बुलाया। बैठक की सूचना बैठक के एजेंडे में 15 वित्त आयोग की परफार्मेस ग्रांट धनराशि बजट अनुमोदन का उल्लेख ही नहीं था, न ही अध्यक्ष और तत्कालीन सीईओ ने बैठक मे उपस्थित जनपद सदस्यों को इसकी जानकारी दी थी, सामान्य विषयों पर चर्चा दौरान प्रारंभ में ही जनपद बाबू ने सभी से कोरे बैठक कार्यवाही रजिस्टर पर हस्ताक्षर ले लिये और इस प्रकार हिडेन प्रस्तावित एजेंडे पर सामान्य सभा के बैठक में 15 वित्त की परफार्मेंस ग्रांट के नाम पर गड़बड़ी की गई है। गड़बड़ी करते हुए जनपद सदस्यों का अधिकार छिनकर 2-3 प्रभावी नेताओं ने अपने ही क्षेत्र विकास कार्य के नाम पर 15 वित्त परफार्मेस ग्रांट का एक करोड से अधिक राशि का कार्य योजना बनाकर बांट लिया।
आरोप लगाया है कि जनपद सभापति होने के बाद भी कार्य योजना दिखाने से जनपद के बाबू तक ने मना कर दिया और अब उसे बीपीडीपी में आनलाइन करने की तैयारी चल रही है जिसे संज्ञान में लेकर जनसंख्या अनुसार बीपीडीपी में शामिल 15 वित्त परफार्मेस ग्रांट के कार्य योजना को बीपीडीपी में शामिल किया जाये। बता दें कि कुल सत्र 2020-21 से 23-24 तक में जनपद पंचायत को 15 वित्त आयोग की राशि जनसंख्यानुसार विकास कार्यों में व्यय के लिए करीब पांच करोड आठ लाख की आवंटन प्राप्त हुई थी, जिसे कुल 25 जनपद सदस्यों में प्रत्येक को करीब 20 लाख के कार्यों को जनसंख्या अनुसार बीपीडीपी में शामिल करना था, लेकिन धारा 50 के उपधारा 1 क के अधीनियम और उसके उसके बनाये गये नियमों के उपबंधों को ताक मे रखकर उपाध्यक्ष को करीब 69.5 लाख रूपये अधिनियम के विरुद्ध बीपीडीपी को कार्य योजना में सम्मिलित कर सरकारी राशि का बंदरबॉट का खेल हुआ है।