एनएमडीसी का सक्रिय दृष्टिकोण केवल गति बनाए रखने का नहीं बल्कि नेतृत्व करने की तत्परता का संकेत है
हैदराबाद। भारत का सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक, एनएमडीसी लिमिटेड सदैव इस्पात और खनन उद्योग में सीमाओं से आगे बढ़ने और नए बेंचमार्क स्थापित करने में अग्रणी रहा है। एक बडा कदम उठाते हुए एनएमडीसी ने प्रौद्योगिकी में नवीन प्रगति के प्रति समर्पित एक नए वर्टिकल की स्थापना की है। ‘परिवर्तन और नवाचार’ वर्टिकल का प्रारम्भ हाल ही में इसके हैदराबाद स्थित मुख्यालय में किया गया जो एनएमडीसी की ऐतिहासिक विसारत में एक नया अध्याय है, एक ऐसा अध्याय जो न केवल परिवर्तन का बल्कि भविष्य की दिशा में एक बडे परिवर्तनकारी कदम का प्रतीक है।
1958 में अपनी स्थापना के बाद से ही एनएमडीसी सुदृढ़ता और विकास का प्रतीक रहा है। तथापि, गतिशील औद्योगिक परिदृश्य निरंतर सुधार की मांग करता है। इन उभरती जरूरतों को पहचानते हुए, एनएमडीसी के नेतृत्व ने नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने, अनुकूलनशीलता बढ़ाने और निर्णय लेने में तेजी लाने के लिए पूर्ण रूप से समर्पित एक अलग विभाग की परिकल्पना की है। परिवर्तन और नवाचार वर्टिकल 100 मिलियन टन उत्पादन क्षमता प्राप्त करने के एनएमडीसी के विजन 2030 के इंजन के रूप में कार्य करेगा, जो महत्वाकांक्षी आकांक्षाओं को कार्रवाई योग्य परिणामों में बदलेगा। टीम में दो उप महाप्रबंधक (डीजीएम) और तीन सहायक महाप्रबंधक (एजीएम) सहित छह अधिकारी शामिल होंगे, और इसका नेतृत्व एक मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) करेंगे। मुख्य महाप्रबंधक सीधे अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक (सीएमडी) और शीर्ष प्रबंधन को रिपोर्ट करेंगे ताकि तेजी से निर्णय लेते हुए कार्रवाई की जा सके। यह वर्टिकल ऐसी रणनीतिक पहलों पर ध्यान केंद्रित करेगा जो संगठन को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त दिलाएं, नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा दें और तेजी से विकसित बाजार परिदृश्य में अनुकूलन क्षमता सुनिश्चित करें।
इसके अलावा, यह अपनी तरह का एक अलग वर्टिकल सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल में कार्यान्वित की जाने वाली विशिष्ट परियोजनाओं की कमीशनिंग की अवधारणा के लिए जिम्मेदार होगा। एनएमडीसी का उद्देश्य निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता का लाभ उठाना, पूंजी निवेश को साझा करना और दीर्घकालिक परिचालन क्षमता स्थापित करना है। इस सहयोगात्मक दृष्टिकोण से जोखिमों को कम करने और एनएमडीसी के विस्तार लक्ष्यों की प्रगति में तेजी आने की आशा है। यह विभाग नई योजनाओं की अवधारणा और निविदा गतिविधियों की देखरेख से लेकर परियोजना निष्पादन की निगरानी तक, परिवर्तनकारी परियोजनाओं और निरंतर सुधारों पर ध्यान केंद्रित करेगा। एक उत्तरदायी खनन कंपनी के रूप में एनएमडीसी इस नए विभाग को सकारात्मक बदलाव के उत्प्रेरक के रूप में देखता है। आगामी 3-5 वर्षों में पूरी की जाने वाली परियोजनाओं में विस्तृत रिपोर्ट के आधार पर 8, 000 करोड़ रुपये से 10,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। एनएमडीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (अतिरिक्त प्रभार) अमिताभ मुखर्जी ने इसके महत्व पर टिप्पणी करते हुए कहा “परिवर्तन और नवाचार विभाग न केवल मौजूदा चुनौतियों का समाधान प्रदान करेगा बल्कि हमें खनन उद्योग के उभरते हुए पारिस्थितिकी तंत्र को नेविगेट करने में भी सक्षम करेगा। यह विभाग भारत के खनन क्षेत्र में अपनी तरह की पहली अनेक अत्याधुनिक तकनीकों को लाकर परिवर्तन का नेतृत्व करेगा। क्रॉस-कंट्री कन्वेइंग सिस्टम, बफर स्टॉकयार्ड और ब्लेंडिंग यार्ड से लेकर स्वचालित नमूनाकरण तक, यह पहल भविष्य के लक्ष्यों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। एक रूढिवादी संगठन के विपरीत , एनएमडीसी परिवर्तन और आधुनिक नवाचारों को लाने में अग्रणी रहेगा और वैश्विक स्तर पर अग्रणी स्थान सुनिश्चित करेगा।“
विभाग का उद्देश्य उद्योग और राष्ट्र के विकास में एनएमडीसी की भूमिका पुनः संरचित करना है। रोपकॉन कन्वेयर सिस्टम, स्वचालित नमूना प्रणाली, इन-पिट क्रशिंग और कंवेयिंग प्रणाली, और सैंडविच बेल्ट कन्वेयर जैसे नवाचार एनएमडीसी की सुस्थिरता, परिचालन उत्कृष्टता और प्रगति के लिए प्रतिबद्धता का उदाहरण प्रस्तुत करेंगे। परिवर्तनकारी परियोजनाओं और निरंतर सुधार पर ध्यान केंद्रित करके, नया विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि नवरत्न कंपनी न केवल भविष्य के लिए तैयार है बल्कि भविष्य का सक्रिय रूप से निर्माण भी कर रही है।