अनिल सोनी
बलरामपुर।बलरामपुर जिले के पीएमजीएसवाई कार्यपालन अभियंता सच्चिदानंद कांत ने “संचार टुडे सीजीएमपी न्यूज़, से चर्चा के दौरान बताया कि जिला मुख्यालय से करीब 32 किलोमीटर दूर पुंदाग गांव जहां आजतक कभी कोई सड़क नहीं पहुंची थी। पहाड़ी रास्तों के अलावा यहां नक्सल भी एक बड़ी समस्या थी। डरे-सहमें लोग या तो पहाड़ी लांघकर उबड़-खाबड़ रास्तों से होते शहर आते या फिर झारखंड के रास्ते। ऐसा नहीं है कि कभी कोई प्रयास नहीं हुआ, लेकिन हर बार नक्सल समस्या हावी रहती, इस भीषण समस्या के कारण प्रशासन हताश हो जाता और ठेकेदार भाग जाते। लेकिन एक अधिकारी की पोस्टिंग होती है और अचानक माहौल बदलने लगता है। महज 29 साल के इस अधिकारी का नाम है सच्चिदानंद कांत। सच्चिदानंद कांत न तो नक्सलियों की धमकी से डरे और न ही रास्ते में बिछे IED से। जिला प्रशासन के सहयोग और अपने मजबूत इरादों की बदौलत आरईएस और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के इस कार्यपालन अभियंता (PMGSY) बलरामपुर ने नक्सलियों के गढ़ में पहाड़ की छाती चीरते हुए पुदांग तक “मोटरेबल” रास्ता बना दिया। अब हजारों एकड़ के क्षेत्रफल पर सुरक्षाबलों का पहरा है और नक्सली बैकफुट पर। इतना ही नहीं अब यहां न केवल सरकारी चिकित्सा सेवाएं आसानी से पहुंच रही हैं, बल्कि शासन की योजनाओं का लाभ भी उन्हें मिल रहा है। सच्चिदानंद कांत ने इसी तरह की चुनौती को स्वीकारते हुए छत्तीसगढ़ से कटे भुताही गांव को भी जिला मुख्यालय से जोड़ दिया।
पहली पोस्टिंग कवर्धा में एसडीओ के रुप में मिली
कॉलेज से पासआउट होने के बाद नौकरी तक का सफर आसान नहीं था। पारिवारिक सम्पन्नता के बावजूद नौकरी के फार्म भरने के लिए सच्चिदानंद कांत ने घर से पैसे नहीं लिए। ट्यूशन पढ़ाया, साल 2018 में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर निजी कॉलेज ज्वाइन किया। लक्ष्य तो बड़ा था, सरकारी सेवा के लिए अप्लाई करते रहे। एक साल में उनके प्रयासों का पेड़ फलित हुआ और राज्य अभियांत्रिकी परीक्षा में उन्हें सफलता मिली। पहली पोस्टिंग कवर्धा में एसडीओ के रुप में मिली।
सच्चिदानंद कांत ने साल 2014 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पैनल में छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ा
पेशे से इंजीनियर और दिल से पर्यावरण प्रेमी सच्चिदानंद कांत का जन्म 21 जून 1995 को जांजगीर में हुआ। शुरुआती शिक्षा पामगढ़ और शिवरीनारायण के सरस्वती शिशु मंदिर में हुई। यहीं से होनहार बालक में राष्ट्रभक्ति के बीज प्रत्यारोपित हो गए। देश सेवा के लिए गांव में अलग-अलग तरह की क्रांति करते हुए सच्चिदानंद कांत ने युवावस्था की दहलीज पर कदम रखा। अब कॉलेज की पढ़ाई के लिए इन्हें शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय रायपुर आना पड़ा। सच्चिदानंद कांत का नैसर्गिक उप से जो सहयोगात्मक चरित्र था, उसके चलते वे छात्रों के दुःख-सुख में साथ होते। कभी किसी निर्धन छात्र के फीस का इंतजाम करते तो कभी बीमारों को अस्पताल की तीमारदारी करते। धरि-थरि कॉलेज में उन्हें प्रसद्धि मिलनी शुरु हुई। सच्चिदानंद कांत ने साल 2014 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पैनल में छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ा। श्री कांत चुनाव में निर्विरोध विजयी हुए। सच्चिदानंद कांत को अब विश्वविद्यालय स्तर की प्रसद्धि मिल रही थी। इसी का नतीजा था, कि सच्चिदानंद कांत अखिल भारतीय विद्यार्थी पैनल से CSVTU विश्वविद्यालय चुनाव में सहसचिव निर्वाचित हो गए। 19 साल के इस युवा नेता सच्चिदानंद कांत को मिले रिकार्ड मतों से सभी आश्चर्यचकित थे। जब श्री कांत का अगला फोकस प्रदेश के सभी 27 पॉलिटेक्निक और तीन इंजीनियरिंग कॉलेजों में शिक्षकों की कमी पर था। कई दौर की बातचीत के बाद सरकार ने उनकी मांगों को मान लिया। पहली बार प्रदेश में इतनी बड़ी संख्या में 483 असिस्टेंट प्रोफेसर और लेक्चर की नियुक्ति हुई।
छत्तीसगढ़ के युवा बिजनेस में नई उड़ान भरने को तैयार हो चले थे
बहुद सोच वाले सच्चिदानंद कांत का मन शुरु से ही पानी और मिट्टी संरक्षण में रहता। छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद टेक्निकल विश्वविद्यालय और उनके संबद्ध कॉलेजों में पर्यावरण एवं स्वच्छता समिति बनाई। जो न केवल पर्यावरण को बचाए रखने का काम करती, वल्कि लोगों को इसके महत्ता के बारे में बताती। हमारे नवेले छत्तीसगढ़ के युवा बिजनेस में नई उड़ान भरने को तैयार हो चले थे। जरुरत को देखते हुए सच्चिदानंद कांत एवं छात्र संगठन की टीम ने प्रदेश में पहली बार आंत्रप्रेन्योरशिप मीट करवाई। जिसमें प्रदेश के कई सारे उद्योगपति शामिल हुए जिन्होंने 10 से ज्यादा इनोवेटिव आइडिया को सराहा और आर्थिक सहायता देकर प्रोजेक्ट को पूरा कराया।
मेहनत से सफलता तो मिली ही, तत्कालीन मुख्यमंत्री की तरफ से तारीफ भी मिली
इंजीनियर पिता ने बेटे को सहानुभूति की भावना सिखाई तो माता की तरफ से विषम परिस्थितियों में हार नहीं मानने की जिद और टाइम और वर्क-टाइम मैनेजमेंट का गुण मिला। इसका असर ही है, कि सच्चिदानंद कांत की जहां भी पोस्टिंग हुई कमाल कर रहे। श्री कांत की पहली पोस्टिंग कवर्धा में एसडीओं के रूप में हुई। पोस्टिंग के बाद श्री कांत कवर्धा पहुंचे तो अन्य प्रोजेक्ट के साथ खुद से इनेशिएटिव लेते हुए कोईलारी के जंगल से नरोधी गांव तब जाने वाली 14 किलोमीटर के नर्मदा नहर के पानी और मिट्टी के संचयन का प्रण लिया। मेहनत से सफलता तो मिली ही, तत्कालीन मुख्यमंत्री की तरफ से तारीफ भी मिली। वहां जगमड़वा हैम, सूखे नाले पर बने डैम में भी पानी और मिट्टी के कटाव को सफलता पूर्वक रोका।
पुदांग, भूताही जैसे क्षेत्रों में सड़क बनाने हेतु सच्चिदानंद कांत को बुलाया
आजादी के बाद से रातन, अस्पताल के लिए गांव वालों को जंगल-जंगल जाना पड़ता था जिसका कारण थे नक्सली। वे चाहते थे कि सरगुजा संभाग के पुंदाग जैसे कई गांव जिला मुख्यालय से कटे रहें। तत्कालीन कलेक्टर द्वारा पुदांग, भूताही जैसे क्षेत्रों में सड़क बनाने हेतु सच्चिदानंद कांत को बलरामपुर बुलाया। 23 अक्टूबर 22 को रोढ़ की हड्डी का ऑपरेशन करवाकर 5 नवम्बर को अपनी उपस्थिति देते हुए पुदांग पहुंच गये। महज 11 दिन बेड रेस्ट कर बलरामपुर की चुनौतियों को स्वीकार किया। वहाँ इन्हें कई बार थमकी मिली, काम रुकवाने के लिए नक्सलियों ने लैंड माइन बिछाया, ठेकेदारों की गाड़ियां जला दीं। जब सर्चिग अभियान में आईईडी मिलती तो मजदूर भाग जाते। इन दुर्घटना के कारण सच्चिदानंद कांत का परिवार सकते में था। कार्य के दौरान सच्चिदानंद कांत देर हो जाने पर CRPF कैम्प में ही रुक जाया करते थे। परवाह किए बिना श्री कांत ने जिला प्रशासन, सीआरपीएफ, स्थानीय जनप्रतिनिधियों के अलावा जनता को साथ लिया और सड़क के 5 साल से बंद कार्य को पुनः गति में ला दिया। कुशल नीति, निडरता, कर्तव्य परायणता की बदौलत सच्चिदानंद कांत ने इन कार्यों से लोगों का जीवन आसान बनाया।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने थपथपाई पीठ
इस आंदोलन के बाद यह युवा नेता सरकार की नजरों में आने लगा। बतौर छात्रसंघ पदाधिकारी छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 10 विश्वविद्यालयीन छात्र संघ पदाधिकारियों को रात्रि भोज पर आमंत्रित किया। सच्चिदानंद कांत अपने पैनल के साथियों के साथ मुख्यमंत्री हाउस पहुंचे और बातों ही बातों में सीएम से युवा सूचना क्रांति योजना जो 2013 से बंद थी फिर से शुरु करने की मांग कर दी। मुख्यमंत्री अपने चिर-परिचित अंदाज में हंसे और सच्चिदानंद कांत की पीठ थपथपाकर योजना को शुरु करने को हरी झंडी दे दी। रायपुर के इन्डोर स्टेडियम में भव्य आयोजन हुआ, मुख्यमंत्री सहित तमाम कैबिनेट मंत्री शामिल हुए सत्र का प्रथम लैपटॉप ससम्मान स्टेज पर सव्यिदानंद कांत को दिया गया।