नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 1999 के कारगिल युद्ध से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। एक पूर्व सेना अधिकारी ने जनहित याचिका दायर कर यह आरोप लगाया था कि, 1999 को हुए कारगिल युद्ध के दौरान सेना के द्वारा कुछ लापरवाही की गई थी।

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, कुछ चीजें हैं, जिनमें न्यायपालिका को प्रवेश नहीं करना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि, यह कार्यपालिका से जुड़ा मामला है। इसलिए इस पर सुनवाई से इनकार कर दिया गया।

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की और कहा, “न्यायपालिका आमतौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामले पर सुनवाई नहीं करती है। 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान जो भी कुछ हुआ, यह कार्यपालिका से संबंधित मामला है”।
आपको बता दें, पूर्व सैन्य अधिकारी मनीष भटनागर ने याचिका दायर कर यह आरोप लगाया था कि, कारगिल में जब आधिकारिक तौर पर पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ के बारे में जानकारी दी गई, उससे पहले ही उन्होंने इसकी पुष्टि कर दी थी।इस याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा, “कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जिनमें न्यायपालिका को घुसना नहीं चाहिए और अगर हम ऐसा करेंगे तो ये गलत होगा”। पीठ ने पूर्व सैन्य अधिकारी से कहा कि, ‘आपने युद्ध में भाग लिया और अब मुद्दों को उसी तरह से छोड़ देना चाहिए, जिस तरह से वो हैं’। इस सुनवाई के बाद मनीष भटनागर ने अपनी याचिका वापस लेने की मांग की, जिसकी अनुमति अदालत ने उन्हें दे दी।

पैराशूट रेजिमेंट की 5वीं बटालियन के पूर्व अधिकारी मनीष भटनागर ने अपनी याचिका में पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ की पुष्टि होने और बाद में सेना के ऑपरेशन के संचालन को लेकर सवाल खड़े किए थे। भटनागर ने आरोप लगाया था कि, घुसपैठ के बारे में उन्होंने साल 1999 की शुरूआत में जनवरी-फरवरी में ही सेना के वरिष्ठ लोगों को जानकारी दे दी थी, लेकिन उनकी जानकारी को नजरअंदाज कर दिया गया था।इसके साथ ही पूर्व सैन्य अधिकारी ने यह भी आरोप लगाया था कि, जब बड़े पैमाने पर युद्ध छिड़ गया था, तो अन्य किसी बहाने को लेकर उनका कोर्ट मार्शल कर दिया गया था और सेना छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था।

कब हुआ था कारगिल युद्ध?

आपको बता दें, साल 1999 में मई से लेकर जुलाई तक कारगिल युद्ध चला था और इस दौरान पाकिस्तानी सेना ने घुसपैठ की थी। हालांकि, भारतीय सेना द्वारा करारा जवाब दिया गया था और पाकिस्तानी सेना को हार का सामना करना पड़ा था।

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