रायपुर: किसी राज्य की सबसे बड़ी पहचान उसकी सांस्कृतिक समृद्धि से होती है। हमने छत्तीसगढ़ में अपनी परंपरा को सहेजने और इसे देश दुनिया को दिखाने की दिशा में कार्य किया है। आज की जनधारा समूह द्वारा आयोजित कर्मवीर सम्मान समारोह के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की एक अद्भुत सांस्कृतिक पहचान रही है। हमारी परंपराएं हमारा लोक संगीत, जीवन शैली को लेकर हमारी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर रही है। छत्तीसगढ़ खनिज और नक्सल प्रभावित राज्य के रूप में जाना जाता था। हमने छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को केंद्र में रखा है।

मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि छत्तीसगढ़ की समृद्ध परंपरा रही है और छत्तीसगढ़ हमेशा से आत्मनिर्भर राज्य रहा है। हमारा आर्थिक जीवन भी हमारे सांस्कृतिक जीवन से गहराई से जुड़ा हुआ है। बस्तर का उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर में लोहे की खदानें है पुराने जमाने में यहां के लोग उच्च गुणवत्ता का लोहा गलाते थे और इसके बदले चांदी खरीदते थे। जिससे सुंदर आभूषण तैयार करते थे। इस तरह हमेशा से समृद्ध व्यापार छत्तीसगढ़ में होता आया है। पशुपालन को लेकर भी छत्तीसगढ़ में समृद्ध परंपरा रही थी। भिलाई के उतई का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यहां मवेशी बाजार लगता था। केवल यहां ही नहीं, पूरे देश भर में मवेशी बाजार लगते थे लेकिन पशुधन संवर्धन को लेकर नीति नहीं होने की वजह से ऐसे बाजारों का अस्तित्व समाप्त होता चला गया। किसी कृषि प्रधान क्षेत्र को विकसित करने के लिए पशुपालन को समृद्ध करना सबसे ज्यादा जरूरी होता है। इस सोच को लेकर हम नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी योजना लेकर आए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि आज की जनधारा पत्र समूह द्वारा आज कर्मवीरों का सम्मान किया जा रहा है। भिलाई कर्मवीरों की भूमि रही है। जब भिलाई में इस्पात भवन के सामने प्रतीक चिन्ह स्थापित करने का निर्णय लिया गया तो यहाँ के वरिष्ठ अधिकारी श्री खचारिया के साथ स्वामी आत्मानंद बैठे थे। श्री खचारिया जी ने उनसे पूछा इस प्रतीक के नीचे क्या लिखा जाना चाहिए? उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में सूक्त वाक्य है सत्यमेव जयते, तो श्रमिकों के लिए श्रमेव जयते होना चाहिए और तब से यह सुंदर वाक्य इस प्रतीक चिन्ह में लिखा हुआ है और भिलाई के हजारों लोगों को प्रेरणा देता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की खूबी यहां के लोगों के आपसी सौहार्द्र को लेकर है और इसे हम कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने सभा में उपस्थित कवि श्री संपत सरल की कविताओं का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि वे संपत सरल की कविताएं सुनते हैं और इन कविताओं में व्यवस्था के प्रति जो व्यंग्य होता है, उससे व्यवस्था को बेहतर करने की समझ भी बनती है। इस दृष्टि से व्यंग्य बेहद कारगर साबित होता है। उन्होंने हरिशंकर परसाई के उद्धरण भी दिए।

इस मौके पर आज की जनधारा समूह के प्रधान संपादक सुभाष मिश्रा ने मुख्यमंत्री श्री बघेल से सुभाष की बात कार्यक्रम के लिए प्रश्न भी पूछे। सुभाष की बात वीआईपी न्यूज चैनल का एक कार्यक्रम है और इसमें प्रधान संपादक श्री सुभाष मिश्रा अतिथि से प्रश्न पूछते हैं। अपने प्रश्नों में श्री मिश्रा ने मुख्यतः यह जानना चाहा कि छत्तीसगढ़ का सुशासन का मॉडल आखिर कहां से आया और इतना सफल कैसे हो पाया? इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के सुशासन के मॉडल को बनाने के लिए हमने यहां की क्षेत्रीय विशेषताओं को लिया। छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है। जब तक कृषि प्रधान राज्य में कृषि से संबंधित बुनियादी समस्याओं को हल करने की दिशा में प्रयास नहीं किया जाएगा तब तक सुशासन का एक मॉडल तैयार नहीं हो सकता था। हमने ग्रामीण विकास की योजनाओं को राज्य में क्रियान्वित किया। इसका जमीनी असर हुआ और तेजी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था स्वावलंबी होने की दिशा में अग्रसर हुई।

इस मौके पर अपने संबोधन में प्रधान संपादक सुभाष मिश्रा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में जो नवाचार हुए हैं। उसे देश भर में सराहा गया है और यह देश भर के लिए मॉडल बन गई है। छत्तीसगढ़ में गोबर खरीदी की जो योजना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरंभ की अब उसे देश के दूसरे राज्यों में मॉडल के रूप में अपनाया जा रहा है। इस मौके पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री के प्रमुख सलाहकार प्रदीप शर्मा ने छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के बारे में विस्तार से चर्चा की। गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, दुर्ग विधायक अरुण वोरा, दुर्ग महापौर धीरज बाकलीवाल, भिलाई महापौर नीरज पाल, रिसाली महापौर शशि सिन्हा, आज की जनधारा समूह के सीईओ सौरभ मिश्रा, एडीशनल सीईओ आशीष जायसवाल, ब्यूरो चीफ रमेश गुप्ता, वीआईपी न्यूज के ब्यूरो चीफ सुबोध तिवारी सहित अन्य अतिथि उपस्थित थे। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने आज की जनधारा का एप भी लांच किया तथा समूह द्वारा निकाली जाने वाली चार पत्रिकाओं का विमोचन भी किया।

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