रायपुर: छत्तीसगढ़ में अचानक से बढ़े कंजक्टिवाइटिस के मामले ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। इसे लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक आपात बैठक बुलाई है। मुख्यमंत्री निवास में ये बैठक चल रही है। जिसमें डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, मुख्यसचिव अमिताभ जैन समेत स्वास्थ्य विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर आई फ्लू की रोकथाम के उपायों की समीक्षा कर रहे हैं।
प्रदेश में कंजक्टिवाइटिस को लेकर अलर्ट भी जारी किया गया है। प्रदेशभर में बीते सप्ताहभर 19 हजार 155 मरीज मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों में मोतियाबिंद के लिए नई गाइडलाइन जारी कर दी है। नेत्र विभाग के डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के आंखों का चेकअप करने का निर्देश जारी किया गया है।
स्वास्थ्य विभाग ने कंजक्टिवाइटिस की रोकथाम के लिए स्कूल शिक्षा और आदिम जाति,अनुसूचित जाति विकास विभाग के संचालक को सर्कुलर जारी किया है। स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों को इस संक्रमण के लक्षणों, उपचार और बचाव की जानकारी देने भी कहा है। आई फ्लू सम्पर्क से फैलने वाली बीमारी है जो तेजी से फैलती है। राज्य में संचालित स्कूल, आवासीय विद्यालय, आश्रम-छात्रावास और हास्टल में छात्र-छात्राएं समूह में रहते हैं जिनमें यह बीमारी फैल सकती है। उन्होंने दोनों विभागों में संचालित संस्थाओं में इसकी रोकथाम के लिए जरूरी निर्देश जारी किए जाने को कहा है।
क्या है कंजक्टिवाइटिस, कैसे करें बचाव
कंजक्टिवाइटिस आंख की आम बीमारी है जिसे हम आंख आना भी कहते हैं। इस बीमारी में रोगी की आंख लाल हो जाती है, कीचड़ आता है, आंसू आते हैं, चुभन होती है और कभी-कभी सूजन भी आ जाती है। कंजक्टिवाइटिस संक्रामक बीमारी है जो सम्पर्क से फैलती है। इसलिए मरीज को अपनी आंखों को हाथ न लगाने की सलाह देनी चाहिए। रोगी से हाथ मिलाने से बचकर और उसकी उपयोग की चीजें अलग कर इस बीमारी के फैलाव को रोका जा सकता है।
संक्रमित आंख को देखने से इस बीमारी के फैलने की धारणा केवल भ्रम है। यह बीमारी केवल सम्पर्क से ही फैलती है। स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों और हॉस्टलों के लिए जो सर्कुलर जारी किया है उसमें बचाव और इलाज की जानकारी भी दी गई है। उसके मुताबिक कंजक्टिवाइटिस होने पर एंटीबायोटिक ड्रॉप जैसे जेंटामिसिन (Gentamicine), सिप्रोफ्लॉक्सिन (Ciprofloxacine), मॉक्सीफ्लॉक्सिन (Moxifloxacin) आई ड्रॉप आंखों में छह बार एक-एक बूंद तीन दिनों के लिए मरीज को देना चाहिए।
तीन दिनों में आराम न आने पर किसी अन्य बीमारी की संभावना हो सकती है। ऐसे में किसी आई स्पेशलिस्ट के पास दिखाना सही होता है। वरना गंभीर स्थिति बन सकती है। कंजक्टिवाइटिस की जांच और इलाज की सुविधा मेडिकल कॉलेजों, जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में मुफ्त में कराया जा सकता है।