नई दिल्ली: झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंंत सोरेन को आख‍िरकार प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने बुधवार रात ग‍िरफ्तार कर लिया. ईडी सूत्रों के मुताबिक, कथ‍ित जमीन घोटाले में उनके ख‍िलाफ पुख्‍ता सबूत मिले हैं. जब इन सबूतों को सामने रखकर जांच अध‍िकार‍ियों ने हेमंत सोरेन से पूछताछ की तो वे सही जवाब नहीं दे पाए. सोरेन पर सेना की जमीन को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खरीदने और बेचने का आरोप है.

ईडी सूत्रों के मुताबिक, घोटाले से अर्जित आय का संदिग्ध मनी ट्रांजेक्शन से जुड़ा होना पाया गया है. यानी पैसों का लेनदेन हुआ जो इस घोटाले से जुड़ा हुआ था. इसकी पूरी चेन जांच एजेंसी को मिल गई है. आरोप ये भी है क‍ि गलत तरीके से हासिल की गई जमीनों पर सोरेन के परिवार और उनके करीबियों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नियंत्रण था. इसके भी पुख्‍ता सबूत मिले हैं.

ईडी सूत्रों का ये भी कहना है कि जब जांच अधिकारियों ने उनसे इसके बारे में सवाल क‍िए तो वे सीधे जवाब नहीं दे पाए. इतना ही नहीं, मामले के मुख्य आरोपी प्रेम प्रकाश, अमित अग्रवाल और तत्कालीन डीसी छवि रंजन के साथ सोरेन के संबंध पाए गए हैं. जांच में ये भी पता चला है क‍ि अवैध खनन में जांच के दौरान भी हेमंत सोरेन की भूमिका थी. जांच में सामने आया कि सोरेन का करीबी अमित अग्रवाल कथित तौर पर सोरेन और उनके करीबी सहयोगियों के ब्लैक मनी को मैनेज करता है.

सूत्रों के मुताबिक, ईडी के पास काफी पहले से सारे सबूत मौजूद थे. शुरुआती जांच में ही कड़ि‍यां मिलती चली गईं. लेकिन उन्‍हें ग‍िरफ्तार करने का फैसला बुधवार को सवाल जवाब के बाद ही लि‍या गया. जब वे सबूतों को नकारते नजर आए और जांच में सहयोग नहीं किया. सूत्रों के मुताबिक, जांच अध‍िकार‍ियों के सवालों के भी सोरेन सही जवाब नहीं दे रहे थे. इससे पहले ईडी अधिकारियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र भेजकर उनसे पूछताछ के ल‍िए समय देने की मांग की थी. बाद में सोरेन ने इन अधिकारियों को 31 जनवरी की दोपहर एक बजे अपने आवास पर बुलाया था.

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