बलरामपुर: एक अच्छे पहल की शुरूआत आप अकेले कर सकते हैं किन्तु उसे पूरा एक टीम करती है। बलरामपुर जिले में हुई एक पहल ने इस वाक्य को चरितार्थ किया है। दरअसल जनजाति बाहुल्य बलरामपुर जिले में विशेष पिछड़ी जनजातियों को जागरूक करने तथा उनके स्वास्थ्य की देखभाल के लिए विशेष शिविर आयोजित किये जा रहे हैं। जागरूकता के आभाव में विशेष पिछड़ी जनजाति पण्डो व पहाड़ी कोरवा समुदाय के लोग स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे थे। इन शिविरों के माध्यम से न केवल विशेष पिछड़ी जनजाति समुदाय के ऐसे लोगों को चिन्हित किया गया, जो किसी बीमारी से ग्रसित हैं बल्कि उनके समुचित उपचार की व्यवस्था की गई। बीमारी के अनुरूप उप स्वास्थ्य केन्द्र से लेकर जिला चिकित्सालय तक तथा जिला चिकित्सालय से लेकर मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर व एम्स रायपुर तक उनका उपचार कराया गया। और ये पूरा काम एक टीम ने किया, जिसकी अगुवाई कलेक्टर कुन्दन कुमार ने की थी। ये टीम अब एक व्यवस्था का रूप ले चुकी है जो पण्डो व पहाड़ी कोरवा परिवार के सदस्यों को क्रमिक रूप से हर एक स्तर पर बेहतर इलाज मुहैया कराती है।
आदिवासी बाहुल्य बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के 200 गांवों में लगभग 40 हजार विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा व पण्डों समुदाय के लोग निवासरत हैं। प्रकृति के करीब रहने वाले ये परिवार भौगोलिक अवस्थिति के कारण मुख्यधारा से दूर जागरूकता के आभाव में जीवन-यापन करते हैं। जंगल, पहाड़, नदी-नाले से घिरे इनके बसाहटों में ये खुद को सुरक्षित महसुस करते हैं जो इनकी परम्परा से भी सहज परिचय कराती है। किन्तु जागरूकता कमी से कई बार बीमारियों से ग्रसित होने पर पण्डो व पहाड़ी कोरवा समुदाय के लोग स्थानीय स्तर ही परम्परागत उपचार को अपनाते हैं, जिससे स्वास्थ्य लाभ न मिलने से स्थिति गंभीर हो जाती है। इन्ही कारणों से अवगत होने पर कलेक्टर कुन्दन कुमार ने पहल करते हुए विशेष अभियान चलाने की शुरूआत की। जिसके तहत् पहाड़ी कोरवा व पण्डो बाहुल्य बसाहटों में स्वास्थ्य शिविर लगाकर मैदानी अमले के डॉक्टरों व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की टीम द्वारा उनके जांच व समुचित उपचार की व्यवस्था की गई। जिले में विशेष पिछड़ी जनजाति समुदाय के लोगों के स्वास्थ्य जांच हेतु पिछले 6 माह में 1 हजार 139 शिविर लगाकर 28 हजार 203 लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराई गई है। जिला प्रशासन की विशेष पहल से इन पिछड़ी जनजाति परिवारों का व्यक्तिगत हेल्थ कार्ड भी बनाया जा रहा है। जिसमें समय-समय पर होने वाले उनकी जांच एवं बीमारियों की जानकारी संधारित होगी। इन स्वास्थ्य शिविरों में अब तक 3 हजार से अधिक हेल्थ कार्ड बनाये जा चुके हैं तथा कार्ड बनाये जाने का कार्य निरंतर जारी है। कलेक्टर श्री कुन्दन कुमार बताते हैं कि विशेष पिछड़ी जनजाति परिवार के सदस्यों के उपचार के लिए उप स्वास्थ्य केन्द्र से लेकर मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर व एम्स रायपुर तक व्यवस्था की गई है। जिन मरीजों का उपचार जिला चिकित्सालय स्तर पर संभव नहीं है तथा उन्हें बेहतर इलाज की जरूरत है। ऐसे मरीजों को मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर से समन्वय कर वहां रेफर किया जाता है तथा इन मरीजों के स्वास्थ्य की निगरानी व परिजनों के सहयोग के लिए जिला चिकित्सालय से डॉ. ख्वाजा व डॉ. इखलाक की ड्यूटी लगाई गई है, जो 24 घण्टे सातों दिन मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर में उपलब्ध रहते हैं। अक्टूबर 2021 से अब तक विशेष पिछड़ी जनजाति के 200 से अधिक मरीजों का ईलाज मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर में कराया जा चुका है तथा समय-समय पर उन्हें आर्थिक सहयोग भी किया जाता है। कलेक्टर कुन्दन कुमार ने बताया कि जिन जांचों की सुविधा मेडिकल कॉलेज में नहीं है, ऐसे जांच बाहर के डायग्नोस्टिक सेन्टर में कराया जा रहा है। मरीजों की बीमारी के वास्तविक कारणों का सही समय पर पता कर निदान किया जा सके एवं समय रहते उनका समुचित उपचार हो इसलिए ऐसी व्यवस्था को शामिल किया गया है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बसंत सिंह ने बताया कि धनिजर कोरवा, झिरमनिया, कुमारी शांति, सिरो कोरवा, सीता कुमार आदि ऐसे कुछ नाम हैं जिनका इलाज मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर में कराया गया और वे स्वस्थ होकर वापस लौट चुके हैं। विशेष पिछड़ी जनजाति के मरीजों का बेहतर इलाज कराने में मेडिकल कॉलेज प्रशासन से भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। जिनमें संयुक्त संचालक सह अस्पताल अधीक्षक डॉ. विजय प्रधान, मेट्रन रश्मि मशीह एवं बरसाती लाल गुप्ता प्रमुख रूप से विशेष पिछड़ी जनजाति मरीजों के ईलाज में सहयोग कर रहे हैं। वहीं जिले में ऐसे मरीज जिन्हें रेफर की आवश्यकता होती है तथा उन्हें मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर जाने एवं इलाज उपरांत वापस आने तक की विशेष निगरानी एवं आवश्यकतानुसार समुचित प्रबंध का काम डॉ. एच.एस. मिश्रा बखूबी निभा रहे है। दरअसल विशेष पिछड़ी जनजाति परिवार के लोगों को इलाज मुहैया कराने की इस पूरी व्यवस्था में टीम काम कर रही है जो निश्चित ही सराहनीय है।