तीन दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस आयोजित राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर एवं एंटरप्रेन्योरशिप कैरियर हब द्वारा संपन्न


कुंदन गुप्ता
कुसमी।
राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर के प्राणीशास्त्र विभाग, इंटरनेशनल सोसाईटी फॉर लाइफ साइंसेस, एंटरप्रेन्योरशिप एवं कैरियर हब द्वारा आयोजित तीन दिवसीय “इंटरनेशनल कांफ्रेंस  ऑन मल्टीडिसप्लीनरी अप्प्रोचेज टू एनवायर्नमेंटल रिसर्च फॉर ह्यूमन हेल्थ” कार्यक्रम संपन्न हुई।

इंटरनेशनल कांफ्रेंस में कुसमी महाविद्यालय के जीवन विज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी के देश-विदेश में ख्याति प्राप्त प्रेरक प्राध्यापक डॉ प्रेम प्रकाश सिंह ने आमंत्रित व्याख्यान दिया। कांफ्रेंस में अमेरिका, जापान, जर्मनी एवं मारीशस सहित भारत के कई वैज्ञानिक, चिकित्सक एवं शिक्षाविदों ने भाग लिया। कांफ्रेंस में शासकीय महाविद्यालय कुसमी में पदस्थ  वरिष्ठ  प्राध्यापक डॉ. पीपी सिंह इस अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान सम्मेलन में प्रदेश से एक मात्र प्रतिभागी रह देश-विदेश के चुनिंदा आमंत्रित वक्ताओं में एक रहे।इम्युनिटी, फ्री-रेडिकल बायोकेमिस्ट्री, बायोफिजिक्स, मॉलिक्यूलर बायोलॉजी एवं जीन एक्सप्रेशन के विशेषज्ञ वैज्ञानिक डॉ. सिंह ने मधुमेह, मोटापा, मेटाबोलिक सिंड्रोम, कैंसर, कोरोना संक्रमण एवं प्रदूषण के चलते शरीर में व्याप्त सूजन के मॉलिक्यूलर बायोलॉजी एवं प्रतिरक्षक प्रोटीन सीआरपी के जीन एक्सप्रेशन प्रक्रिया पर विस्तृत व्याख्यान दिया। अमेरिका मे प्रतिष्ठित पोस्ट डॉक्टरेट फेलोशिप प्रवास के दौरान सूजन बायोमार्कर प्रतिरक्षक प्रोटीन सीआरपी के जीन अभिव्यक्ति के दौरान कार्यरत मॉलिक्यूलर स्विच की खोज में अमेरिका के विख्यात वैज्ञानिको के साथ डॉ. सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। डॉ सिंह को आशा है कि भविष्य में सीआरपी के जीन अभिव्यक्ति के आणविक प्रक्रिया की पूर्ण जानकारी के उपरांत इस अतिमहत्वपूर्ण एक्यूट फेज प्रतिरक्षक प्रोटीन की मात्रा का नियंत्रण जीन टेक्नोलॉजी द्वारा कर मानव शरीर की सामान्य जन्मजात प्रतिरोधक क्षमता को ज्यादा प्रभावशाली  बनाया जा सकेगा। डॉ.  सिंह के इस शोध से प्रतिरक्षा चिकित्सा विज्ञानं एवं कोलेस्ट्रॉल मेटाबोलिज्म से जुड़े हृदय रोग में सीआरपी प्रोटीन की सही भूमिका जानने की शोध प्रक्रिया बेहतर हो पायेगी एवं धमनियों की बीमारी एथेरोस्क्लेरोसिस से बचाव के लिए नए प्रभावशाली दवा के विकास में सहायता मिलेगी। कांफ्रेंस में डॉ सिंह ने व्याख्यान सत्र की अध्यक्षता भी किया। कांफ्रेंस आयोजकों ने डॉ. सिंह को इस दौरान सम्मानित भी किया। अमेरिका में आयोजित शोध प्रतियोगिता में उत्कृष्ट मौलिक शोध प्रदर्शन के लिए डॉ सिंह को प्रतिष्ठित स्टूडेंट च्वाइस अवार्ड प्राप्त करने का भी गौरव प्राप्त हुआ है। 
राजकीय उच्च शिक्षा  संस्थानों में प्रशासनिक सदाचार एवं गुणवत्तामूलक शैक्षणिक वातावरण की बहाली हेतु सतत संघर्षरत रहे डॉ सिंह को अमेरीका में उत्कृष्ट शोध, शोध प्रशिक्षण एवं उच्च शिक्षा के प्रति प्रेरक समर्पण एवं महत्वपूर्ण योगदान के लिए सम्मानित किया गया। अमेरिका के टेनिसी राज्य के गवर्नर के साथ आयोजित विशिष्ट सम्मान समारोह में डॉ सिंह को आमंत्रित किया गया था। जीन एक्सप्रेशन के चुनौती भरे क्षेत्र में डॉ सिंह के मौलिक शोध का प्रकाशन अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ़ इम्म्यूनोलॉजिस्ट के अग्रणी जैव चिकित्सा विज्ञान  शोध पत्रिका द जर्नल ऑफ इम्म्यूनोलोजी में हुआ है। अमेरिका से प्रकाशित प्रतिरक्षा विज्ञान के एक मौलिक सन्दर्भ पुस्तक लेखन में हार्वर्ड विश्वविद्यालय, ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय, इम्पीरियल कॉलेज लंदन, अमेरिका, जापान, ईटली, जर्मनी एवं डेनमार्क के विश्वविख्यात इम्मुनोलॉजिस्ट के साथ डॉ. सिंह भी सहलेखक रहे हैं। डॉ. सिंह का चयन भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र मुंबई में भी शोध कार्य के लिए हुआ था। इन्हे नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा संस्थापित अंतर्राष्ट्रीय संस्थान विश्वभारती शांतिनिकेतन में शोध करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उल्लेखनीय है कि नोबेल पुरस्कार विजेता सर सीवी रमण द्वारा स्थापित भारतीय विज्ञान अकादमी बैंगलोर द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किये गए उत्कृष्ट एवं प्रेरणादायी प्राध्यापकों की स्थाई सन्दर्भ सूची में अविभाजित मध्यप्रदेश से डॉ. सिंह का भी नाम देश भर के चुनिंदा   वैज्ञानिको, शिक्षाविदों एवं टेक्नोक्रेट के साथ शामिल किया गया। भारतीय विज्ञानं अकादमी बैंगलोर द्वारा डॉ. सिंह को दो बार शोध फ़ेलोशिप अवार्ड प्रदान किया गया। केरल में वर्ष 1998 में अकादमी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तर पर उच्च शिक्षा में सुधार मसला की महत्वपूर्ण बैठक में डॉ सिंह अविभाजित मध्यप्रदेश से एकमात्र आमंत्रित प्रतिनिधि थे।

स्कूल, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय स्तर की सभी परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के उपरांत दो बार राष्ट्रीय एजुकेशन टेस्ट शोधवृत्ति (नेट, जेआरएफ, सीएसआईआर, नई दिल्ली) प्राप्त कर  चुके डॉ सिंह के शोध पत्र अमेरिका ,ब्रिटेन एवं आस्ट्रेलिया से प्रकाशित अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकें है। डॉ. सिंह अनेक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों एवं कार्यशाला (बोस्टन, जॉनसन सिटी टेनेसी, भारतीय विज्ञानं संस्थान बंगलौर ,बीएचयू  वाराणसी, उदयपुर, जयपुर, भागलपुर) में आमंत्रित हो भाग ले चुके है। अनेक अंतर्राष्ट्रीय विज्ञानं संगोष्ठियों (स्कॉटलैंड, कनाडा, स्पेन) में डॉ सिंह के शोध पत्र स्वीकृत हो चुके हैं। इन्हे प्राकृतिक विश्व विज्ञान कार्यशाला बैंकाक, टेलोमेरेज कार्यशाला सेनफ्रांसिस्को, हॉर्मोन संगोष्ठी एवं ऑक्सीजन विश्व कांग्रेस सांता बारबारा में भी आमंत्रित किया गया था। विशिष्ट राष्ट्रीय विज्ञानं संगोष्ठियों (भारतीय विज्ञानं संस्थान बैंगलोर 1998 ,सीसीएमवी हैदराबाद 1999, राजीव गाँधी जैव प्रौद्योगिकी संस्थान त्रिवेंद्रम 1999 , एमएस स्वामीनाथन शोध संस्थान चेन्नई 2000) में डॉ सिंह की भागीदारी रही है। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग परीक्षा से चयनित हो मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा सेवा और फिर छत्तीसगढ़ शासन उच्च शिक्षा सेवा  के अनेक महाविद्यालयों में सेवा देने के पूर्व  विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के शिक्षण विभाग में शिक्षण कार्य कर रहे थे। डॉ. सिंह ग्वालियर, मध्यप्रदेश स्थित प्रतिष्ठित माधव प्रौद्योगिकी एवं विज्ञानं संस्थान में बायोटेक्नोलॉजी विभाग के संस्थापक उपाचार्य रह चुके है। डॉ सिंह मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रतिनियुक्ति पर बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय के इंस्टिट्यूट ऑफ़ माइक्रोबायोलॉजी एवं बायोटेक्नोलॉजी में भी शिक्षण कर चुके हैं। चुनौती भरे वर्तमान सदी में देश में विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी का विश्वस्तरीय आधारभूत संरचना के गुणवत्ता मूलक विकास हेतु देश के युवाओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विज्ञान शिक्षा एवं शोध के प्रति प्रेरित करने के लिए भारत सरकार के विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर संचालित अतिविशिष्ट इंस्पायर कार्यक्रम हेतु देश के राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त चुनिंदा शिक्षाविदों एवं वैज्ञानिकों की इंस्पायर मेंटर की राष्ट्रीय सूचि में डॉ सिंह का भी नाम शामिल किया गया है।

Leave a reply

Please enter your name here
Please enter your comment!