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बलरामपुर। बलरामपुर जिले के राजपुर के धंधापुर में स्थित आदिम जाति सेवा सहकारी समिति के धान खरीदी केंद्र में 3000 हजार बोरी कम धान मिला लेकिन धान खरीदी प्रभारी ने अफसरों व राइस मिलरों से सेटिंग कर बिचौलियों के माध्यम से धान देकर गड़बड़ी को छिपाने की कोशिश की है।

समिति में धान ख़त्म होने के बाद भी डीओ जारी करवाकर बिचौलियों के माध्यम से मिलों तक धान भेज़ दिया गया। यह वही धान खरीदी केंद्र है जहां पांच साल पहले एक करोड़ से अधिक की धान खरीदी  कागजों में हो गया था जिसमें समिति प्रबंधक, पटवारी के खिलाफ कलेक्टर ने अपराध दर्ज कराया था तो उन्हें जेल जाना पड़ा था वहीं बिचौलियों के नाम भी सामने आए थे लेकिन जांच अफसरों से सेटिंग कर अब तक वे बचे हुए हैं। जबकि करीब 100 किसानों के नाम पर जमीन का रकबा कागजों में बढ़वाकर बिचौलियों ने धान बेचा था और इस साल भी बिचौलियों ने किसानों के नाम पर कागजों में धान बेचा और अब उठाव में कम धान मिला तो कलेक्टर की सख्ती पर बिचौलियों ने मिलों तक धान बाद में पहुंचाया है। सीजीएमपी न्यूज़ पड़ताल में पता चला है कि समिति में पांच सक्रिय बिचौलियों ने करीब 120 किसानों के नाम पर धान बेचा जिसमें आधा किसानों के नाम पर कागजों में बिक्री की गई थी, इससे धान घट गया, इसकी जानकारी संचालक मंडल के कुछ सदस्यों को मौखिक में बताया गया लेकिन गड़बड़ी छिपाने के लिए उस पर न तो कोई पंचनामा बना और न ही कोई दस्तावेजी साक्ष्य बनाया गया। इसके बाद धान कम होने की जानकारी अफसरों को मिली तो जिला प्रशासन के दबाव में आकर इसमें पर्दा डालने के लिए धान नहीं होने के बाद भी डीओ जारी करवा गया।

धंधापुर सहकारी समिति में हर साल यहां बिचौलिए करीब 100 किसानों के नाम पर केसीसी लोन लेते हैं

धंधापुर सहकारी समिति में हर साल यहां बिचौलिए करीब 100 किसानों के नाम पर केसीसी लोन लेते हैं और इसमें समिति के कर्मचारी सीधे तौर पर मिले हुए हैं। इसके बाद लोन की राशि किसानों के खाता में पहुंचता है तो उसे किसानों के खाता से अपने खाता में ट्रांसफर करवा लेते हैं। इसके लिए किसानों के नाम पर माफिया चेकबुक जारी करवाकर चेक में उनका साइन करवा कर अपने पास रखें रहते हैं और इसके एवज में इन किसानों को बरसात के समय उधारी में हाईब्रीड धान व मक्का बीज दे देते  हैं। इसके कारण किसान इसकी शिकायत नहीं करते हैं।
धान खरीदी में बड़े पैमाने पर तब गड़बड़ी

धान खरीदी में बड़े पैमाने पर तब गड़बड़ी हुई ज़ब कलेक्टर ने धान खरीदी से पहले सभी समितियों के कर्मचारियों का अचानक अदला बदली कर दिया था लेकिन इसके बाद भी उन्होंने सेटिंग कर ली। धंधापुर समिति में तो एसडीएम ने कई बार खरीदी के समय बिचौलियों को पकड़ने की कोशिश की थी और कुछ किसानों का धान भी जब्त किया था लेकिन इसके बाद भी समिति के कम्प्यूटर आपरेटर और खरीदी प्रभारी की बिचौलियों से सेटिंग के कारण टोकन कटने के बाद कागजों में किसान के आए बिना धान बिकता गया। इसकी जांच कराने पर अब भी बड़ा खुलासा हो सकता है।

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