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बलरामपुर। कल तक घर की चारदीवारी के बीच रहने वाली राजकुमारी, आज बड़े ही आत्मविश्वास के साथ मनरेगा कार्य स्थल पर श्रमिकों के बीच मस्टर रोल पर उनकी हाजिरी लेती है और उन्हें गोदी का साइज बता कर काम पर लगाती है। जिस कुशलता के साथ राजकुमारी गृहिणी के किरदार में घर के कामों और जिम्मेदारियों को निभाती है, वैसी ही वह घर के बाहर महिला मेट के रूप में मनरेगा के कामों और जिम्मेदारियों को पूरा करती है।बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के विकासखण्ड शंकरगढ़ के खरकोना गांव की रहने वाली राजकुमारी बरगाह के जीवन में आए इस बदलाव के पीछे उनके पति चंद्रपाल बरगाह का प्रोत्साहन है। विवाह के बाद राजकुमारी भी आम गृहणियों की भांति घर को संभालने में लग गई थी। इसी दौरान समय-समय पर राजकुमारी में पढ़ने-लिखने के प्रति रुचि को देखते हुए उनके पति चंद्रपाल ने उन्हें दसवीं कक्षा की परीक्षा देने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे वर्ष 2015 में उन्होंने अपनी दसवीं की पढ़ाई पूरी कर ली। हाईस्कूल की परीक्षा पास करने के बाद राजकुमारी का आत्मविश्वास बढ़ा, जिसके बलबूते उन्होंने मनरेगा में मेट के रूप में काम करने का निर्णय लिया। पिछले 3 साल से वे खरोकना ग्राम पंचायत में महिला मेट का काम बड़ी ही निष्ठा से कर रही हैं। अपने काम को बेहतर बनाने के उद्देश्य से उन्होंने जनपद पंचायत शंकरगढ़ में संपन्न हुए विशेष मेट प्रशिक्षण में भागीदारी भी की थी। वे अब योजना अंतर्गत काम की मांग लेने, काम का आबंटन, श्रमिकों की हाजिरी व उनके काम की माप-पंजी में एंट्री, कार्यस्थल पर सुविधाएं एवं समय-सीमा में काम कराने” जैसे विषयों में पारंगत हो गई हैं। उन्होंने ग्राम पंचायत में महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत वृक्षारोपण, निजी तालाब निर्माण एवं 06 किसानों की निजी भूमि पर डबरियों (फार्म पोण्ड) का निर्माण करवाया है। राजकुमारी के पति किसान हैं और मनरेगा में भी मजदूरी करते हैं। घर की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए मनरेगा में मेट के रूप में काम करने का राजकुमारी का निर्णय, आज फलीभूत होता नजर आ रहा है। वे बताती हैं कि मेट के काम से मिले पारिश्रमिक से वे अब तक 27 हजार रुपए बचत कर चुकी हैं, जो उनके परिवार के लिए जरूरत के समय काम आएंगे। मेट राजकुमारी के जीवन में आया यह बदलाव ग्रामीण क्षेत्रों में महात्मा गांधी नरेगा के एक नए आयाम को दर्शा रहा है। योजना में मेट के रूप में महिला की नियुक्ति से जहां एक ओर महिला सशक्तिकरण हो रहा है; वहीं ग्रामीण स्तर पर एक सामाजिक परिवर्तन होता भी नजर आ रहा है।

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