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छत्तीसगढ़।छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के सुकमा जिले में सर्व आदिवासी समाज के नेतृत्व में हजारों की संख्या में आदिवासियों ने कलेक्ट्रेट का घेराव किया. आदिवासियों ने सुकमा के कलेक्टर विनीत नंदनवार को हटाने की मांग को लेकर यह घेराव किया. सर्व आदिवासी समाज सुकमा कलेक्टर की कार्यप्रणाली से नाराज है.


छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले सैकड़ों ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट कार्यालय परिसर में प्रदर्शन किया. आदिवासियों ने सुकमा कलेक्टर पर बेरुखी ​बरतने का आरोप लगाया और उन्हें जिले से हटाने की मांग की.सर्व आदिवासी समाज की सुकमा इकाई ने जिले में ग्रेड तीन और चार की सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों को शत प्रतिशत आरक्षण देने, नक्सली होने के आरोप में जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों को निष्पक्ष जांच के बाद बरी करने और आदिवासियों के धर्म परिवर्तन में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने समेत 20 सूत्रीय मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट कार्यालय तक रैली निकाली. बाद में समाज के ​लोग कलेक्टर कार्यालय परिसर में प्रवेश कर गए.सुकमा जिले में  सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण कलेक्टर कार्यालय परिसर में एकत्रित हुए थे. इस दौरान पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन वह परिसर में प्रवेश करने मे कामयाब हो गए. सर्व आदिवासी समाज के सुकमा जिले के प्रमुख पोज्जा राम मरकाम ने बताया कि हाल ही में उनका एक प्रतिनिधिमंडल अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर विनीत नंदनवर से मिलने पहुंचा था लेकिन कलेक्टर ने उन्हें समय नहीं दिया. मरकाम ने बताया कि इसके बाद आदिवासी समाज ने कलेक्टर को हटाने सहित मांगों को लेकर कलेक्टर कार्यालय का घेराव करने का फैसला किया. उन्होंने बताया कि उनकी मांगों में वर्ष 2013 में एडेसमेटा गांव में पुलिस गोलीबारी में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा और नौकरी देने तथा तीन नगर पंचायतों-सुकमा, कोंटा और दोरनापाल को वापस ग्राम पंचायतों में परिवर्तित करना आदि शामिल है.मरकाम ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने अपना आंदोलन समाप्त करने से पहले अनुविभागीय दंडाधिकारी को अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन सौंपा.इधर कलेक्टर विनीत नंदनवर ने कहा है कि जिला प्रशासन हमेशा स्थानीय लोगों की मांगों पर ध्यान देता है और उस पर उचित कार्रवाई करता है. सुकमा जिले के अधिकारियों ने बताया कि कुछ लोग जिला प्रशासन को निशाना बनाने के लिए इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहे हैं.

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