जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर शुक्रवार को तालुका विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष व व्यवहार न्यायाधीश आकांक्षा बेक ने कस्तूरबा बालिका आश्रम में छात्राओं को कानून की जानकारी दी।
न्यायाधीश आकांक्षा बेक ने कस्तूरबा विद्यालय के छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि बालकों की सहमति कानून में स्वीकार्य नहीं है। 18 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बालक चाहे वह लड़का हो या लड़की यदि वह किसी भी बात के लिए कोई सहमति देते हैं तो ऐसी सहमति कानून में किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है और बालकों की सहमति के आधार पर यदि कोई उनके साथ गलत कार्य को अंजाम देता है तो उसके विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही होना तय है।
विवाह के लिए लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की उम्र 18 वर्ष तय की गई है इसके पूर्व कोई भी विवाह कानून की नजरों में वैध नहीं है।
अधिवक्ता संघ के सचिव सुनील सिंह ने कहा कि बालकों के लैंगिक उत्पीड़न से संरक्षण अधिनियम काफी कठोर प्रावधान किए गए हैं और इससे अधिनियम के तहत गंभीर मामलों में फांसी तक की सजा का प्रावधान है। बालकों या बालिकाओं के साथ किसी भी तरह काम अश्लील हरकत दंडनीय अपराध है। बालकों से काम कराना भी दंडनीय अपराध है और इसमें भी कठोर सजा का प्रावधान है जुर्माने की राशि भी कम से कम 50 हजार रखी गई है।
इस दौरान अधिवक्ता जितेंद्र गुप्ता, रामनारायण जयसवाल, प्राचार्य उर्मिला मिंज, अविनाश एक्का, शीला मिंज, अनूपमा कपूर, रुपेश आदि उपस्थित थे।