[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”Listen to Post”]
नई दिल्ली, एएनआइ। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने संसद में होने वाले संविधान दिवस समारोह का बहिष्कार किया है। विपक्षा का आरोप है कि नरेन्द्र मोदी सरकार संविधान पर निरंतर हमले कर रही है और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई पार्टी के संसदीय मामलों के रणनीतिक समूह की बैठक में यह फैसला लिया गया। वहीं, विपक्ष के इस फैसले पर भाजपा ने कहा है कि यह डा भीमराव अंबेडकर का अपमान है।भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, ‘कांग्रेस, वामपंथी, टीएमसी, राजद, एसएस, एनसीपी, एसपी, आईयूएमएल और डीएमके सहित 14 दलों ने सेंट्रल हाल में आयोजित ‘संविधान दिवस’ समारोह का बहिष्कार किया। नेहरू जयंती कार्यक्रम के दौरान हंगामा करने वाली कांग्रेस बहिष्कार का नेतृत्व कर रही है। यह डाक्टर अंबेडकर का अपमान है।’ पिछले साल भी कांग्रेस ने इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया था। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, जब सरकार संविधान पर निरंतर हमले कर रही है और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है तो फिर ऐसे कार्यक्रम का दिखावा क्या करना है। हम संविधान पर हमले करने वाली सरकार के ऐसे कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकते।
हरियाणा के किसानों काे दिया धन्यवाद
गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि सरकार एमएसपी पर गारंटी, आंदोलन में जान गंवाने वालों को मुआवजा और 48 हजार लोगों पर दर्ज मुकदमे रद करे। पंजाब के लोगों ने यह आंदोलन शुरू किया था, लेकिन हरियाणा के लोगों का योगदान भी कम नहीं है। हरियाणा के 47 हजार लोगों पर मुकदमे दर्ज हैं, उन्हें रद किया जाए। एमएसपी बगैर हमारा गुजारा नहीं है, अगर सरकार बैठकर बात करे तो आधी समस्या तो वैसे ही हल हो जाती है, केवल एक कानून बना दें कि बाहर से कोई माल आएगा तो उसको एमएसपी के रेट से कम कोई नहीं बेच सकता।
मांगें न मानने तक आंदोलन ऐसे ही चलेगा
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता दर्शनपाल ने मुख्य मंच से कहा कि आज यहां बैठे एक वर्ष हो गया है। पंजाब और हरियाणा के भाइयों ने दिल्ली की तरफ कूच किया, हरियाणा से चढूनी, पंजाब से बलबीर राजेवाल की अगुआई में हर बाधा, हर अन्याय को झेलते हुए, दिल्ली की सीमाओं तक आए और 27 नवंबर को दिल्ली के रकाब गंज में संयुक्त किसान मोर्चा बनाया गया, जिसको आज एक साल पूरा हो गया है। उन्होंने कहा कि अभी उत्तर प्रदेश मिशन बाकी है। जब तक मांगें पूरी नहीं होती आंदोलन इसी तरह चलेगा। मुख्य मंच पर मोर्चा के नेता बलवीर सिंह राजेवाल, सतनाम सिंह, डा. दर्शन पाल, जंगवीर चौहान, मुकेशचंद्र शर्मा डा. सतनाम अजनाला, कंवलप्रीत सिंह पन्नू, बलविंदर सिंह राजू, बलदेव सिंह सिरसा समेत अन्य मौजूद रहे।गौरतलब है कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत संसद के केंद्रीय कक्ष में शुक्रवार (26 नवंबर) को संविधान दिवस पर एक कार्यक्रम का आयोजन होगा जिसे राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संबोधित करेंगे। संसदीय कार्य मंत्रालय के बयान के अनुसार, राष्ट्रपति अपने संबोधन के बाद संविधान की प्रस्तावना पढ़ेंगे। उनके साथ संविधान की प्रस्तावना को पढ़ने के लिए पूरे देश को आमंत्रित किया गया है। आपको बता दें कि आज के ही दिन 1949 में संविधान सभा ने मौजूदा संविधान को मंजूरी दी थी। हालांकि इसको 26 जनवरी 1950 में लागू किया गया था। देश के संविधान के तहत हर देशवासी को समान अधिकार प्राप्त हैं।