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नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्र सरकार ने मुफ्त खाद्यान्न वितरण कार्यक्रम ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ (पीएमजीकेएवाई) को इस साल सितंबर तक बढ़ाने का फैसला किया है। केंद्र के इस फैसले से देश के 80 करोड़ से अधिक गरीब लोगों को एक बार फिर से राहत मिली है। कोविड महामारी के दौरान लगे लाकडाउन में रोजी-रोटी के संकट से जूझ रहे लोगों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने मार्च 2020 में मुफ्त में राशन देने की योजना शुरू की थी। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत गरीब परिवारों को प्रति व्यक्ति पांच किलो खाद्यान्न मुफ्त मिलता है। अब तक सरकार ने कुल 759 लाख टन खाद्यान्न राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को वितरित किया है।उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने भी गरीब परिवारों को मुफ्त अनाज मुहैया कराने का समय तीन माह बढ़ाया है।देखा जाए तो ये दोनों ही फैसले बेहद मानवीय हैं, क्योंकि महामारी के 24 महीनों के बाद भी हालात सामान्य नहीं हुए हैं। करोड़ों लोग गरीबी-रेखा के तले जीने को विवश हैं। यह आज की विकराल समस्या है, क्योंकि बेरोजगारी की राष्ट्रीय दर आठ फीसद से अधिक है। जिनके रोजगार महामारी के दौर में छिन गए थे, उनकी सौ फीसद बहाली में कितना वक्त लगेगा, शायद सरकारों के पास भी इसका सटीक आकलन नहीं है। हालांकि भारत सरकार में आर्थिकी से जुड़े शीर्ष अधिकारियों के सुझाव थे कि कोरोना-पूर्व की अर्थव्यवस्था की पूर्ण बहाली के लिए अब मुफ्त अन्न योजना बंद कर देनी चाहिए, लेकिन मोदी सरकार नहीं मानी और योजना की अवधि बढ़ाने का निर्णय लिया।
गौर करने वाली बात यह है कि आम लोगों को जरूरत के दौरान मुफ्त राशन मुहैया कराना सिर्फ इसलिए संभव हुआ है, क्योंकि महामारी के बीच भी सरकार द्वारा किसानों से रिकार्ड मात्रा में अनाज की खरीद की गई है। फसलों की ऊंची कीमतें मिलने से किसान उत्पादन और बढ़ाने के लिए प्रेरित हुए हैं।
जाहिर है मुफ्त अनाज की योजना को बढ़ाने का यह फैसला किसानों की वजह से संभव हुआ है। फिलहाल सरकार के अन्न भंडार भरे हुए हैं और आने वाले समय में फिर से रिकार्ड अनाज उत्पादन की उम्मीद की जा रही है। इसलिए सरकार को फिलहाल योजना को बढ़ाने में कोई दिक्कत नहीं थी। कोविड-19 महामारी ने पूरे देश को कई तरह से प्रभावित किया है। इसने लोगों के जीवन और उनकी आजीविका को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष दोनों तरीके से नुकसान पहुंचाया है। इसने समाज के सबसे कमजोर तबके को झकझोर कर रख दिया है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना से इन लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
हालांकि संदेह भी व्यक्त किए जा रहे थे कि चुनावों के बाद सरकार इसे समाप्त कर देगी अथवा इसमें कुछ कटौती कर देगी। साफ है संदेह गलत साबित हुए। अब केंद्र और राज्य दोनों स्तर पर गरीबों को कमोबेश भुखमरी का तो शिकार नहीं होना पड़ेगा। यदि आगे छह माह के दौरान वितरित किए जाने वाले अनाज को भी जोड़ दिया जाए तो भारत सरकार गरीबों को इस मद में 1003 लाख मीट्रिक टन अनाज नि:शुल्क मुहैया करा देगी। यह मात्रा अभूतपूर्व है। अब तक इस योजना पर सरकार 2.60 लाख करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है और अगले छह महीनों में इस पर 80 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।