सूरजपुर: इंडस्ट्री लिमिटेड नई दिल्ली को कोल माइंस का भास्करपारा तहसील भैयाथान जिला सूरजपुर में आवंटन किया गया है। कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में भू अर्जन के त्वरित निराकरण हेतु जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य, सरपंच, प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों की उपस्थिति में ग्रामीण जनों के विभिन्न प्रकार के संदेह एवं भ्रांतियों के निराकरण हेतु कलेक्टर इफ्फत आरा ने खदान खोलने हेतु बिंदुवार जानकारी ली तथा जनप्रतिनिधियों के सुझाव लेकर प्रकाश इंडस्ट्रीज के अधिकारियों को बेहतर परियोजना संचालित करने के लिए गांव में आम सभा का आयोजन कर सभी प्रकार के भ्रांतियों को निराकरण करने के लिए निर्देशित किया है।
गौरतलब है कि भास्करपारा कोयला खनन परियोजना तहसील भैयाथान जिला सूरजपुर में प्रस्तावित खुली खदान एवं भूमिगत खदान का क्षेत्रफल लगभग 932 हेक्टेयर में फैला है। जिसमें 457.366 हेक्टेयर भूमि खुली खदान एवं 350. 413 एक्टर भूमिगत खदान तथा अन्य प्रयोजन हेतु 124. 221 हेक्टेयर भूमि का विभाजन किया गया है। जिसमें 7 ग्राम बड़सरा, बस्करपारा , कुर्रीडीह, खड़परा, दौनोली खुर्द, केवरा एवं कुशमुसी शामिल है।
परियोजना द्वारा प्रस्तावित मुआवजा एवं अन्य सुविधाएं
परियोजना प्रबंधन द्वारा प्रस्तावित भूमि का भू अर्जन न कर परियोजना में खुली खदान हेतु ली जाने वाली भूमि को सरफेस राइट के तहत लिया जाएगा जिसमे प्रवाहित भूमिका मालिकाना हक खनन उपरांत भी खनन का ही रहेगा एवं भूमि का मुआवजा भू अर्जन के मुआवजे के समतुल्य ही दिया जाएगा। संपत्ति का मुआवजा संपत्ति का मूल्यांकन संबंधित शासकीय विभागों द्वारा किया जाएगा। जैसे मकान है तो पीडब्ल्यूडी या आर.ई.एस. द्वारा एवं इमारत वृक्ष है तो वन विभाग द्वारा तथा फलदार वृक्ष है तो उद्यानिकी विभाग द्वारा निर्धारित राशि का दो गुना मुआवजा राशि दिया जाएगा। मकान विस्थापन की दशा में प्रभावित ग्रामीणों को प्रधानमंत्री आवास योजना के समूह तुल्य मकान बनवा कर दिया जाएगा। यदि कोई भी ग्रामीण स्वयं से अन्यत्र मकान बनाने का इच्छुक होगा तो उसको प्रधानमंत्री आवास योजना में लगने वाली निर्धारित कीमत के बराबर राशि का भुगतान किया जाएगा। विस्थापित परिवारों को एक वर्ष तक प्रतिमाह 3 हजार रुपये जीवन निर्वाह अनुदान दिया जाएगा। अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के विस्थापित परिवार को इसके अतिरिक्त 50 हजार रुपे एकमुश्त भी दिया जाएगा। विस्थापित होने वाले परिवारों को एकमुश्त परिवहन व्यय भी दिया जाएगा एवं मकान के साथ पशु बड़ा या छोटी दुकान भी है तो 25 हजार रुपये एकमुश्त राशि भी दी जाएगी। प्रत्येक विस्थापित परिवार को एकमुश्त 50 हजार रूपए पुनर व्यवस्थापन भत्ता दिया जाएगा। यदि कोई ग्रामीण शासकीय भूमि पर बेजा कब्जा कर मकान बनाकर रह रहा है तो ऐसी स्थिति में उस ग्रामीण को प्रधानमंत्री आवास योजना के समतुल्य मकान बना कर दिया जाएगा अथवा उसके समकक्ष नगद राशि का भुगतान किया जाएगा। जो भी भेजा कब्जा धारी आवंटन 18 नवंबर 2021 के 3 वर्ष पूर्व से निवासरत होंगे वह इसके पात्र होंगे।
परियोजना से रोजगार
परिवार की कुल आय का सर्वेक्षण किया जाएगा। कुल आय का 50 प्रतिशत या उससे अधिक कृषि आय होने पर यह माना जाएगा कि परिवार की जीविका का मुख्य साधन कृषि है। जिन परिवारों की जीविका का मुख्य साधन ली जाने वाली कृषि भूमि होगी उन्हें रोजगार की पात्रता होगी। सीमांत कृषक यदि धारित भूमि का 25 प्रतिशत या उससे अधिक अर्जित होगा तो रोजगार की पात्रता होगी। लघु कृषक यदि धारित भूमि का 50 प्रतिशत या उससे अधिक अर्जित होगा तो रोजगार के पात्रता होगी। बड़े कृषक यदि धारित भूमि का 75 प्रतिशत या उससे अधिक अर्जित होगा तो रोजगार की पात्रता होगी। पात्र परिवार के एक सदस्य को रोजगार की पात्रता होगी जिसमें कंपनी के पास रोजगार उपलब्ध होने की दशा में पात्रता के अनुसार रोजगार दिया जाएगा या रोजगार की एवज में एकमुश्त 5 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा या 20 वर्ष तक प्रतिमाह वार्षिकी दी जाएगी। जो की प्रतिमाह दो हजार रुपये या कृषि श्रमिकों के लिए वर्तमान में उपभोक्ता कीमत सूचकांक के अनुसार होगी। उपरोक्त के अलावा ऐसे परिवार जिनकी कोई जमीन नहीं ली जा रही है किंतु परियोजना के लिए ली जाने वाली जमीन पर ही उनकी जीविका निर्भर है जैसे कृषि, मजदूर, बटाईदार, कारीगर इत्यादि को भी रोजगार की पात्रता होगी किंतु नवंबर 2021 से 3 वर्ष पूर्व से उनका ग्राम में निवासरत होना अनिवार्य है।