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अंबिकापुर। सूरजपुर जिले के प्रेमनगर नगर पंचायत में कांग्रेस ने भाजपा के 40 सालाें के गढ़ को ध्वस्त कर दिया। जबकि यहां भाजपा के राष्ट्रीय व राज्य स्तर के चार बडे नेताओं का डेरा जमा हुआ था। इतना ही नहीं इन्हीं नेताओं की सहमति के बाद भाजपा ने उम्मीदवारों का चयन किया था। यहां भाजपा को मात्र दो सीट पर जीत मिली है। इसमें एक सीट में तो भाजपा के पार्षद वीरेंद्र जायसवाल ताे चार बार से लगातार चुने जा रहे थे, वे अपनी छवि व दम पर यहां चुनाव में जीत हासिल किए हैं। प्रेमनगर नगर पंचायत में कुल 15 वार्ड हैं जिसमें भाजपा के धनसिंह बंजारा व विरेन्द्र जायसवाल को जीत मिली। वहीं दो निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हािसल किया है। चर्चा है कि इसमें एक निर्दलीय पार्षद को तो भाजपा के एक नेता ने ही चुनाव मैदान में उतारा था क्योंकि उनके मनपसंद उम्मीदवार को टिकट नहीं मिला। भाजपा के हार को लेकर अब तक संगठन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है जबकि यहां चुनाव जीताने के लिए सांसद रेणुका सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भाजपा अनुसूचित जनजाित मोर्चा कमलभान सिंह, प्रभारी प्रदेश अध्यक्ष किसान मोर्चा श्याम बिहारी जायसवाल, प्रदेश अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग मोर्चा अखिलेश सोनी एक सप्ताह से डटे हुए थे। इन चारों नेताओं को सरगुजा संभाग में संगठन कदावर नेता मानती है लेकिन चार नेता मिलकर भी अपना तिलिस्म यहां नहीं दिखा सके, सबसे बड़ी बात तो यह कि भाजपा के सीनियर नेता रहे स्व. शिव प्रताप सिंह व पूर्व सांसद कमलभान सिंह के रिश्तेदार भी पार्षद चुनाव में उम्मीदवार थे लेकिन भाजपा नेता उन्हें भी चुनाव नहीं जीता सके। भाजपा की करारी हार को लेकर भाजपा के कार्यकर्ताओं का कहना है कि विधानसभा चुनाव में सरगुजा संभाग में ऐसे ही नेताओं के कारण भाजपा को करारी हार मिली थी क्योंकि ये नेता आम कार्यकर्ता से दूर हो गए और इसके बाद भी संगठन विधानसभा चुनाव के बाद नए चेहरे सामने नहीं ला सकी। इससे कार्यकर्ता अंदर से अब भी नाराज हैं जिसका खामियाजा यहां भाजपा को भुगतना पड़ा जबकि भाजपा के पास कांग्रेस की विफलताओं को मजबूती से ले जाने की जरूरत थी लेकिन उसमें नेता सफल नहीं रहे। बता दें कि करीब यहां 35 सौ ही मतदाता थे जिनमें से 10 लोगों ने ही नोटा का प्रयोग किया। वहीं चार नेता मिलकर आठ पार्षदों को भी चुनाव नहीं जीता सके। उम्मीद है कि भाजपा के प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर के नेता इस पर विचार कर विधानसभा चुनाव में जीत के लिए संगठन में सर्जरी करेंगे। वहीं यह चुनाव कांग्रेस के लिए खुश करने वाली है लेकिन यहां के स्थानीय मुददे भी कांग्रेस के जीत के लिए महत्वपूर्ण हैं, कांग्रेस को विधानसभा जीत के लिए चुनावी वादों को भी ध्यान रखने की जरूरत है क्योंकि जैसे जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है आम आदमी व सरकारी व संविदा कर्मचारी वादों को याद कर रहे हैं।