सूरजपुर: मुख्य कार्यपालन अधिकारी लीना कोसम के द्वारा सोमवार को जिला पंचायत सभाकक्ष में छत्तीसगढ़ शासन की महत्वकाक्षी फ्लेगशीप योजनाओं का योजनावार समीक्षा की गई।
सीईओ ने जिले के जिन गौठनों में गोबर खरीदी में कमी, केंचुआ खाद के निर्माण में निर्धारित प्रतिशत नहीं पाया जाना एवं पैरा दान की अल्प प्रगति पर सख्त नाराजगी जाहिर की। उन्होंने इन सभी कार्यों के सुधार हेतु 1 सप्ताह का समय दिया है, एवं गोमूत्र की मात्रा एवं संग्रहण हेतु गोठानों के चयन व बिक्री हेतु निर्देशित किया। सीईओ ने कहा कि 19 जनवरी 2023 को भैयाथान विकासखंड के ग्राम पंचायत तेलगाँव में जिला स्तरीय समस्या निवारण शिविर का आयोजन किया जाना है, मेरी सभी विभागों से यह अपील है कि अपने अपने क्षेत्र में घूम कर समस्याओं का समाधान कर लेवें और कोशिश रहे की शिविर में कम से कम समस्या अथवा शिकायत प्राप्त हो साथ ही जिला स्तरीय समस्या निवारण शिविर का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जावे, ताकि शासन के मंशा अनुरूप कार्यक्रम को आयोजित किया जा सके। सभी विभाग अपने अपने स्टाल को कार्यक्रम स्थल के प्रांगण में लगाना सुनिश्चित करें एवं योजनाओं के संबंध में पांपलेट, लीफलेट, बैनर व अन्य प्रचार सामग्री का उपयोग करें साथ ही कलेक्टर मिलेट् मिशन को लेकर काफी संवेदनशील है, इसलिए आप सभी मिलेट मिशन को मिशन मोड़ में कार्य करना सुनिश्चित करें। आदान सामग्री का वितरण खंड स्तर पर सुनिश्चित किया जाये साथ ही जिस विकास खंड प्रमुख के द्वारा आदान सामग्री का वितरण जनप्रतिनिधियों के समक्ष नहीं किया जाएगा। उन वितरण को शून्य माना जायेगा।जिपं सीईओ ने यह निर्देश दिए कि रागी बीज की खेती अधिक से अधिक रोपण पद्धति से किया जाये एवं विकास खंड भैयाथान के समस्त आदान सामग्रियों का वितरण 19 जनवरी 2023 को जिला स्तरीय समस्या निवारण शिविर तेलगांव में किया जाना सुनिश्चित करें एवं मिलेट मिशन के तहत प्रदाय स्लोगन का दीवाल लेखन कार्य किया जावे एवं निर्धारित कार्यक्रम के तहत उच्च व उच्चतर विद्यालयों में छात्रों के साथ मिलेट मिशन के संबंध में संवाद किया जाये। किसान क्रेडिट कार्ड के संबंध में शिविर का आयोजन किया जाये। संबंििधत अधिकारी कृषकों को केसीसी बनाने हेतु दस्तावेजों की जानकारी प्रदाय करें, ताकि केसीसी के लक्ष्य को शत प्रतिशत हासिल किया जा सके। जिला समस्या निवारण शिविर में केसीसी बनाने हेतु विशेष रूप से स्टॉल का निर्माण किया जिससे कृषकों को केसीसी बनवाने में किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े।