सूरजपुर : कलेक्टर इफ्फत आरा के उपस्थिति में पूर्व राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के पूर्व राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के संयुक्त सचिव पी. निहलानी के द्वारा 26 और 27 दिसम्बर 2022 को दो दिवसीय राजस्व प्रकरणों की कार्यशाला जिला पंचायत के सभाकक्ष में आयोजित किया गया। निहलानी ने भू-अर्जन प्रकरणों के निराकरण के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। भू-अर्जन, पुर्नवासन, पुनर्स्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 के बारे बताया। हर जिले में पुनर्वास समिति होगी, जिसका अध्यक्ष कलेक्टर होगा। जानकारी देते हुए कहा कि कोई प्राइवेट कम्पनी जब भू-अर्जन करती है तो प्रभावित क्षेत्र के 80 प्रतिशत परिवारों की सहमति तथा पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल से भू-अर्जन किया जाता तब प्रभावित क्षेत्र के 70 प्रतिशत परिवारों की सहमति आवश्यक होनी चाहिए। वन अधिकार पत्र के तहत धारित पट्टेधारियों को चाहे वह कृषि भूमि, मछली पालन, डेयरी आदि के लिए उपयोग कर रहे हो तो वह भू-अर्जन के संबंध में भूमि स्वामी माने जाएंगे तथा भू स्वामी की भांति उनका मुआवजे की पात्रता होगी। यदि कोई भूमि का धारण न करता हो लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से भू-अर्जन से प्रभावित होता होगा तो उसे भी मुआवजा की पात्रता होगी। भू-अर्जन के पूर्व सामाजिक समाघात निर्धारण अध्ययन समिति गठित होगी। जिनके द्वारा किसी प्रोजेक्ट आने पर उस क्षेत्र के सामाजिक परिस्थिति पर होने वाले प्रभाव के संबंध में कलेक्टर को दो माह के भीतर रिर्पाेट सौपनी होगी।
उन्होंने राजस्व मामलों में सहित तहसील के कानूनगों, वासिल बाकी नवीश (डब्ल्यूबीएन) एवं रीडर के द्वारा संधारित किये जाने वाले पंजीयों के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा की गई एवं छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 158, 165 एवं 170 के प्रावधानों के संबंध में जानकारी दी। किसी न्यायालीयन प्रकरण में ग्राम कोटवार के माध्यम से पक्षकारों को नोटिस तामिल कराने पर वैधानिक नहीं माना गया। नोटिस तामिल केवल तहसील के भृत्य द्वारा ही कराये जाये। प्रत्येक राजस्व अधिकारी को वार्षिक सिंगमेंट के तहत दौरा कार्यक्रम बनाकर कलेक्टर को अनुमोदन के लिए भेजना चाहिए। उन्होंने राजस्व वसूली के संबंध में धारित पंजीयों बजट, मांग एवं वसूली तथा मासिक जानकारी समय-समय कलेक्टर को प्रस्तुत करें। इस दौरान जिले समस्त राजस्व अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।