इरोड (तमिलनाडु), एजेंसी। तमिलनाडु के इरोड जिले में 16 साल की एक लड़की को अपने अंडे (एग) बेचने के लिए मजबूर करने के मामले में दुष्कर्म और प्रताड़ना के आरोप सामने आए हैं। लड़की की मां और सौतेले पिता द्वारा पिछले पांच वर्षों में कम से कम आठ मौकों पर उसके अंडे (अंडाणु) को बेचने के लिए मजबूर किया गया था। विशेष चिकित्सा टीम ने रविवार को एक नाबालिग लड़की से पूछताछ की। तमिलनाडु पुलिस ने यह जानकारी दी।
तमिलनाडु की चिकित्सा और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा निदेशालय की छह सदस्यीय टीम ने 6 जून को लड़की का बयान दर्ज किया। संयुक्त निदेशक ए विश्वनाथन की अध्यक्षता वाली टीम ने पाया कि पिछले पांच वर्षों में लड़की को अपने अंडे (एग) विभिन्न प्रजनन क्षमता केंद्र को बेचने के लिए मजबूर किया गया था। अधिकारी अब लड़की के बयान के आधार पर राज्य के विभिन्न प्रजनन केंद्रों की जांच कर रहे हैं।
अधिकारियों ने कहा कि यदि अपराध की जानकारी में सही पाई जाती हैं तो उनके लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे और डॉक्टरों की संलिप्तता की भी जांच की जाएगी। शनिवार को मामले के जांच अधिकारी इरोड जिला के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने बांझपन का इलाज करने वाले दो अस्पतालों को समन भेजा। दोनों अस्पतालों के अधिकारी उपस्थित हुए और जांच अधिकारी के सवालों का जवाब दिया।
पुलिस के अनुसार, टीम ने 13 साल की उम्र से लड़की के अंडाणु दान के बारे में आपबीती सुनी। पीड़िता ने बताया कि कैसे उसकी मां इंद्राणी (33) और उसके सौतेले पिता सैयद अली (40) ने उसे पेरुंदुरई (इरोड), सेलम और होसुर इलाकों में निजी अस्पतालों में अंडाणु दान करने के लिए मजबूर किया था।
पुलिस के मुताबिक, लड़की ने यह भी कहा कि सैयद अली ने उसका कई बार दुष्‍कर्म किया। मेडिकल टीम ने सभी विवरण दर्ज किए। पुलिस ने कहा कि उसने जिले में बांझपन का इलाज करने वाले उन अस्पतालों से पूछताछ की, जहां लड़की को अपना अंडाणु दान करने के लिए मजबूर किया गया था।
प्राथमिकी में कहा गया है कि लड़की की मां, एस इंद्राणी (33), जो अपने पहले पति से अलग हो गई थी, जो नाबालिग के पिता है, भी अपराध में शामिल था। एक बिचौलिये की मदद से आधार कार्ड पर नाबालिग की उम्र बदली गई। बिचौलिए को 5,000 रुपये का कमीशन दिया गया था, जबकि लड़की की मां ने हर बार एग की बिक्री 20,000 रुपये में की थी।

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