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मध्य प्रदेश: नर्मदापुरम जिले के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 5 गांव के आदिवासी दो महीने से धरने पर बैठे हैं. वन विभाग की निभौरा नर्सरी के जंगल में ये परिवार अनिश्चताकालीन धरना दे रहे हैं. लेकिन वन विभाग और राजस्व विभाग का कोई भी ज़िम्मेदार अधिकारी उनसे बात करने नहीं पहुंचा. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है कि अगर इन आदिवासियों की मांगों पर जल्द सुनवाई नहीं हुई तो वे खुद आदिवासियों के साथ तब तक धरने पर बैठे रहेंगे जब तक पीड़ित आदिवासियों को न्याय नहीं मिल जाता.

मध्य प्रदेश में आदिवासियों की आबादी 1.53 करोड़ है. विधानसभा में 47 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं. 2013 में 31 सीटें बीजेपी ने जीतीं लेकिन 2018 में 16 पर सिमट गई. ऐसे में आदिवासियों को रिझाने सरकार हर उपाय कर रही है. लेकिन सुर्खियों से अलग एक और तस्वीर है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के लिये रोरीघाट, नयाखेड़ा, अंजनढाना, जामुनढोगा, नानकोट जैसे गांवों का विस्थापन हुआ लेकिन 175 परिवारों में 60 का कहना है कि उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला.  उनका जबरन विस्थापन किया गया, विस्थापन नीति के मुताबिक  न जमीन दी गई और न मुआवजा दिया गया. ऐसे में अपनी मांगों को लेकर ये आदिवासी धरने पर बैठे हैं.

बताते चलें कि वन विभाग की नीति अनुसार विस्थापन के लिए इन गांववालों को 2 विकल्प दिए गए थे, पहले विकल्प में एक परिवार को 10 लाख नगद और दूसरे विकल्प में 2 हैक्टेयर ज़मीन और 2.5 लाख रु. देने का प्रावधान था. लेकिन कई लोगों का आरोप है कि 9 साल बाद उन्होंने दस्तावेज की प्रति मिली कई लोगों ने विकल्प 2 का चयन किया था. लेकिन उन्हें पहले विकल्प एक के पैसे दे दिये गये. साथ ही कुछ परिवार ऐसे भी हैं जिन्हें मुआवज़ा मिला ही नहीं

एक तरफ जहां आदिवासियों का कहना है कि उन्होंने मुआवजे के लिए उन्होंने विकल्प 2 का फॉर्म भरा था लेकिन उन्हें विकल्प 1 का मुआवजा दिया गया. उनका कहना है कि उनके पास कोई रोजगार भी नहीं है. इस कारण वो धरने पर बैठे हैं. वहीं पूरे मामले पर मुख्य वन संरक्षक एल कृष्णमूर्ति ने कहा है कि एक योजना में एक बार ही लाभ मिलेगा जो हम दे चुके हैं, उनसे यही निवेदन है कि योजना के अनुसार लाभ दिया गया बाकी हम प्रोग्राम चलाते हैं कि बफर में विभिन्न तरीके से प्रशिक्षण से रोजगार दिलाने का उसका प्रयास कर रहे हैं.कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि धूप में पानी में वो धरने पर बैठे हैं. प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया, बीजेपी के विधायकों से हम उम्मीद भी नहीं करते हैं. मैं शिवराज सिंह को पत्र लिख रहा हूं वायदे निभाएं नहीं तो मैं धरने में शामिल होने वाला हूं.

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