धाजागीर इलाके से हर साल माफिया ढाई करोड़ का पांच हजार टन कोयला कराते है अवैध खनन

बलरामपुर। बलरामपुर जिले के राजपुर इलाके के मरकाडांड व धजागीर नामक जंगल में बड़े पैमाने पर राजस्व व वन भूमि पर अवैध तरीके से हर साल तीन करोड़ का पांच हजार टन कोयले का अवैध खनन किया जाता है और उसे आसपास के ईंट भठठों में खपाया जाता है। दिन दहाड़े महान नदी के किनारे चल रहे भठठों के अलावा दुप्पी, चौरा, रेवतपुर, धंधापुर में चल रहे चिमनी ईट भठठों में भी पहुँचाया जाता है लेकिन खनिज विभाग के अफसरों की मिलीभगत के कारण जिम्मेदार कार्यवाही नहीं करते। पिछले साल यहां से सैकड़ो टन कोयले की खुदाई हो चुकी है। धाजागीर जंगल से राजस्व विभाग ने अवैध कोयला खनन करते हुए एक्सीवेटर मशीन को जब्त कर थाना में खड़ा करवाया।

धाजागीर जंगल से एक्सीवेटर मशीन व 17 मजदूरों से कोयला खनन कराया जा रहा था, मजदूरों ने तस्करों व अवैध ईट भठ्ठा मालिकों के नाम का भी खुलासा किया और बताया कि आंनद बस के मालिक के द्वारा जोगी राम मांझी के घर के पास से एक्सीवेटर मशीन से अवैध कोयला खुदाई कर रह थे। धाजागीर के अलावा लोधीडांड नाला किनारे से भी कोयला निकाला जा रहा है, जहां से मिनी ट्रक व ट्रेक्टर से कोयला दिन व रात में भी ढोया जा रहा है और सीधे चिमनी भठठों में पहुँचाया जा रहा है। बता दें कि यहां हर साल नवंबर से लेकर मई तक कोयले का खनन माफियाओ के द्वारा कराया जाता है और शिकायत पर एसड़ीएम, तहसीलदार और वन विभाग भी हकीकत देख चुके हैं लेकिन कार्यवाही दिखावे के लिए करते हैं, यहीं वजह है कि कोयले का काला धंधा बेखौफ़ चल रहा है।

हर साल खुल रहे अवैध कोयले के कारण चिमनी भठ्ठे

अवैध कोयला मिट्टी के मोल मिलने के कारण दुप्पी, चौरा, परसवारकला, रेवतपुर व धंधापुर में गमला व चिमनी वाले ईट भठ्ठे सालों से चल रहे हैं। इतना ही नहीं इलाके में हर साल नए भठ्ठे शुरू हो रहे हैं। वहीं यहां साल में पांच करोड़ से अधिक ईट चिमनी वाले ही अवैध कोयला से पका रहे हैं। इसके कारण सरकार को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। इतना ही नहीं भठ्ठे वाले भठ्ठे में कोयला को डंप कर ट्रकों में भरकर उसकी बिक्री भी कर रहे हैं।

इस तरह करते हैं दस्तावेज हासिल और नहीं होती कार्यवाही

माफिया कोयला को अवैध से वैध बनाने के लिए कोल डिपो से फर्जी दस्तावेज और कोल माइंस से खरीदी का दस्तावेजों दिखाते हैं लेकिन खदान से जो कोयला लेते हैं उसे वे डिपो या कम्पनियो को भी बेचते हैं और दस्तावेज अपने पास रखते हैं जिसे भठ्ठे में पकडे जाने पर दिखाते हैं। हालांकि जांच के नाम पर खानापूर्ति होती है, जिन अफसरों को जांच में भेजा जाता है उनकी संलिप्तता पहले से ही होती है और उन्हें क्लीन चिट मिल जाता है। जानकारों का कहना है कि जिस खनिज विभाग ने चिमनी भठ्ठे का परमिशन दिया है वह इसका भौतिक सत्यापन नहीं करता कि कोयला कहाँ से कितना आया और कितने ईट का उत्पादन हुआ। वे कम ईट दिखाकर भी पिटपास की रायल्टी में भी चोरी करते हैं।

इलाके में बारह से अधिक चिमनी भठ्ठे, कुछ तो अवैध फिर भी जांच नहीं 

इस इलाके के बारह से अधिक चिमनी भठ्ठे व बीस से अधिक गमला भठ्ठे हैं। एक चिमनी भठ्ठे में औसत तीन सौ टन कोयला खपत होता है इस तरह तीन हजार टन चिमनी में जा रहा तो बाकी दो हजार में एक हजार टन गमला भठठों में व एक हजार टन इलाके के बाहर दूसरे भठठों में जाता है। इस तरह पांच हजार रूपये क्विंटल के हिसाब से भी जोड़े तो पांच हजार टन कोयला करीब ढाई करोड़ का होता है। यह अनुमानित आकड़ा अवैध खनन के कोयले का है, खदान से चोरी होने वाले कोयले का आकड़ा इसमें नहीं है।

जिसकी सत्ता उसके कार्यकर्त्ता व पदाधिकारी बन जाते हैं माफिया

कोल माफिया अपना सत्ता के साथ रंग बदलते हैं। प्रदेश में जिसकी सत्ता होती है वे उसके कार्यकर्ता और पदाधिकारी बन जाते हैं। इसके बाद राजनैतिक संरक्षण मिलने और अफसरों को धौंस दिखाने का मौका मिल जाता है। इस इलाके में भी माफिया इसी तरह अपने काले धंधे को अंजाम दे रहे हैं। इसकी वजह से पार्टी के लिए जमीनी स्तर पर जुड़कर काम करने वाले कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर पड़ता है।

दिखावे के लिए ग्रामीणों पर करते हैं कार्यवाही

अवैध कोयला का कारोबार करीब 10 सालों से संचालित है। इसकी जानकारी राजस्व व माईनिंग विभाग को भी लेकिन इस पर रोक लगाने सार्थक पहल नही की गई। कार्रवाई के नाम पर कभी-कभार गरीब तबके के साइकिल सवार ग्रामीणों से कोयला जब्त कर लिया जाता है। एक्सीवेटर मशीन के अलावा अधिकांश पहाड़ी कोरवा, पंडो जनजाति एवं आदिवासी युवकों से उत्खनन जोरो से कराया जा रहा है।

ऐसे करते हैं खुदाई और ट्रांसपोर्ट, मजदूरों को ट्राली में मिलता है चार हजार

मजदूर भोजन, पानी, फावड़ा, सबल्ल, झेलेंगी, बोरा, तगाड़ी लेकर कोयला उत्खनन करने जाते हैं और वे मौके पर अवैध कोयला उत्खनन कर छोड़ देते है। रात्रि में कोल माफिया अपने 407, ट्रैक्टर व पिकअप लेकर कोयला लेने पहुँचते है। अवैध कोयला रात्रि में ही चिमनी, गमला ईट भट्ठों सहित डिपो पहुंचा रहे है। ग्रामीणों ने बताया कि 407 में कोयला लोड करने का 8 हजार, पिकअप व ट्रैक्टर में 4 हजार रुपए ही मिलता है। 

एसडीएम शशि कुमार चौधरी ने बताया कि मुखबिर से सूचना मिली थी कि धाजागीर में कोयला का अवैध खनन चल रहा है मौके पर राजस्व विभाग पहुंचकर एक्सीवेटर मशीन को जब्त कर थाना में खड़ा करवाया गया है। 17 मज़दूर मौके से फरार हो गए, पंचनामा बनाया गया है। एक्सीवेटर मशीन आंनद बस के मालिक का बताया गया है। जांच उपरांत कार्यवाही की जाएगी।

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